वे सभी परियोजनाए जिसके द्वारा कई उद्देश्यों पूर्ति एक साथ हो जाती है बहुउद्देशीय परियोजना कहलाती है।
बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजना भारत सरकार द्वारा अभियोजित एक बहुत बड़ी परियोजना है जिसके द्वारा बड़ी नदियों को प्रबंधित करने का लक्ष्य है। इस परियोजना के माध्यम से भारतीय कृषि और उद्योग की विकास तथा जल संरचनाएं और बिजली उत्पादन जैसे क्षेत्रों में सुधार किया जा सकता है।बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजना परियोजना के तहत नदियों के जल संसाधन का उपयोग करके विभिन्न उद्देश्यों को पूरा किया जाता है, जैसे -:
- बिजली उत्पादन
- जल संरक्षण
- सिंचाई
- जल संचय
- बाढ़ नियंत्रण
- मृदा अपरदन पर रोक
- पेय एवं सिंचाई हेतु
- जलापूर्ति
- मत्स्य पालन
- जल कृषि
- वन्य जीव संरक्षण
- पर्यटन
हालांकि, इस प्रकार की परियोजना वास्तव में अपने साथ कुछ समस्याओं को लेकर आती है, जैसे कि भूमि और पर्यावरण के लिए खतरा। ऐसी परियोजनाओं के लिए सामाजिक और पर्यावरणीय प्रभावों का विश्लेषण करना महत्वपूर्ण है और इसे पर्याप्त रूप से समझना भी आवश्यक है। इस तरह के परियोजना के तहत नदी घाटियों में नई इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे बांधों, नदी बेड का सुधार, जल प्रबंधन संरचनाएं आदि का निर्माण किया जाता है ।
सम्भवतः, बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजना का महत्वपूर्ण फायदा यह है कि इसके द्वारा जल संसाधनों का उपयोग किया जा सकता है, जो विभिन्न क्षेत्रों में उपलब्ध होते हैं। हालांकि, यह परियोजना स्थानीय जनता के लिए बड़ी मात्रा में नुकसान पहुंचा सकती है, जो अपनी भूमि, वन और जल संसाधनों के लिए बड़ी मात्रा में नुकसान पहुंचा सकती है, जो अपनी भूमि, वन और जल संसाधनों के लिए निर्भर होते है ।
बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजना की समस्याएं
बहुउद्देशीय परियोजना को लेकर कुछ लोगों ने आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरण समस्याओं का उल्लेख करते हुए इस परियोजना को विवादित बताया है। उनके मुताबिक, इस परियोजना से नदियों, जीवन परिवेश और प्राकृतिक संसाधनों पर बहुत असर पड़ेगा और इससे समाज के कुछ वर्गों का जीवन कठिन हो सकता है। बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजना के अंतर्गत कुछ समस्याएं हो सकती हैं, जो निम्नलिखित हैं:-
- पर्यावरणीय प्रभाव: इस परियोजना के तहत नदी घाटियों में नए बांधों, नदी बेड का सुधार और जल प्रबंधन संरचनाएं बनाई जाएंगी, जो पर्यावरणीय प्रभावों का कारण बन सकती हैं। यह प्रभाव समुद्र तटों, मंग्रोव वनों, पक्षियों, जैव विविधता और स्थानीय प्रजातियों के लिए हानिकारक हो सकता है।
- स्थानीय लोगों की असुविधा: परियोजना के अंतर्गत कुछ स्थानों पर जल बांधने की वजह से स्थानीय लोगों को उनके गांवों और फसलों के लिए नुकसान हो सकता है। इससे उनका जीवनोपार्जन प्रभावित हो सकता है और इससे संबंधित समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
- सोशल इंपैक्ट: इस परियोजना के तहत नई इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे बांधों, नदी बेड का सुधार, जल प्रबंधन संरचनाएं आदि का निर्माण किया जाएगा।
- वित्तीय असंतुलन: बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजना जैसी बड़ी परियोजनाओं के लिए वित्तीय नियोजन और पूंजीवादी मॉडल बनाना मुश्किल होता है। इस परियोजना के लिए वित्त और अनुदान का उपयोग करने से पहले, उसके विभिन्न स्थानों पर संभव विपरीत प्रभावों का विश्लेषण करना आवश्यक होगा।
- निगरानी की कमी: बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजना जैसी बड़ी परियोजनाओं के लिए निगरानी और नियंत्रण बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। इस परियोजना के अंतर्गत निगरानी और नियंत्रण के लिए उचित मंच और प्रक्रियाएं तैयार करना महत्वपूर्ण होगा।
- समरस्ता के संबंध में समस्या: इस परियोजना के अंतर्गत कुछ स्थानों पर निर्मित जल संरचनाएं संबंधित राज्यों और क्षेत्रों के बीच समरस्ता के संबंध में समस्या उत्पन्न कर सकती हैं।
बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजना से आप क्या लाभ है?
बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजना से कुछ लाभ हो सकते हैं, जैसे:-
- बिजली उत्पादन: इस परियोजना के माध्यम से बिजली उत्पादन को बढ़ावा मिल सकता है। इस परियोजना से हाइड्रो पावर स्टेशनों की स्थापना की जा सकती है, जो बिजली उत्पादन के साथ-साथ भारत की ऊर्जा आपूर्ति को बढ़ा सकते हैं।
- जल संरचना: इस परियोजना से नदियों पर बांधों का निर्माण किया जा सकता है, जो पीएफ एवं जल संरचनाएं बनाने में मदद कर सकते हैं। इससे किसानों के लिए स्थायी सिंचाई सुविधा उपलब्ध होगी जो उनके फसलों के उत्पादन में वृद्धि कर सकती है।
- पर्यटन: बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजना के बांधों के क्षेत्र में पर्यटन उद्योग को बढ़ावा मिल सकता है। यह क्षेत्र एक आकर्षक पर्यटक स्थल हो सकता है जहाँ लोग दिनभर के प्रयासों के बाद अपने आप को शांति और सुखद वातावरण में खोज सकते हैं।
- समुद्री अभिव्यक्ति को रोकना: इस परियोजना के माध्यम से, बांधों के निर्माण से जल संरचना के साथ, बाढ़ और बारिश से निपटने की क्षमता में वृद्धि हो सकती है। इससे नदियों की बढ़ती स्तरों से जुड़ी समस्याओं को कम किया जा सकता है। इससे समुद्री अभिव्यक्ति को रोकने में मदद मिल सकती है, जो अक्सर बाढ़ से लड़ने में मुश्किल होती है।
- नाविक यात्रा: इस परियोजना से नाविक यात्रा को बढ़ावा मिल सकता है। नदी के सही विकास से नाविक यात्रा को सुरक्षित बनाने में मदद मिल सकती है।
- उत्पादकता: बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजना से किसानों के लिए स्थायी सिंचाई सुविधा उपलब्ध होगी। इससे खेती की उत्पादकता में वृद्धि हो सकती है।
- भौतिक विकास: इस परियोजना से नए बांध, पुल, रेलवे स्टेशन, सड़क आदि के निर्माण में मदद मिल सकती है। इससे भौतिक विकास को बढ़ावा मिल सकता है।
- बिजली उत्पादन: बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजना से बांधों में समुद्री जल का उपयोग कर बिजली उत्पादन किया जा सकता है। इससे विद्युत क्षेत्र में विकास होगा और जनता को बिजली की आपूर्ति में सुधार होगा।
- पर्यटन: नए बांधों, नदी यात्राओं, उपवनों आदि के निर्माण से पर्यटन क्षेत्र में विकास होगा। इससे पर्यटकों को विभिन्न विकल्पों का चयन करने का मौका मिलेगा और पर्यटन से जुड़े क्षेत्रों में रोजगार का भी विकास होगा।
- पर्यावरण संरक्षण: बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजना से पानी की उपयोगिता को बढ़ाया जा सकता है जो पानी के अभाव और जल संकट से लड़ने में मदद कर सकता है। इसके अलावा, नदी वालों की संरक्षा, वनों के संरक्षण आदि के लिए भी इस परियोजना का उपयोग किया जा सकता है।
बहुउद्देशीय परियोजनाओं को आधुनिक भारत का मंदिर क्यों माना जाता है?
जवाहरलाल नेहरू ने बांधों को ‘आधुनिक भारत के मंदिर’ घोषित किया, क्योंकि बांध तेजी से औद्योगीकरण और शहरी अर्थव्यवस्था के विकास के साथ कृषि विकास और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को एकीकृत करेंगे।
बहुउद्देशीय परियोजना के लाभ –
1. बांधों में एकत्रित जल का प्रयोग सिंचाई के लिए किया जाता है।
2. यह जल विद्युत ऊर्जा प्राप्ति का प्रमुख साधन है।
3. जल उपलब्धता के कारण जल की कमी वाले क्षेत्रों में फसलें उगाई जा सकती हैं।
4. घरेलू व औद्योगिक कार्यों में उपयोगी होता है।
5. बाढ़ नियंत्रण, मनोरंजन, यांत्रिक नौकायन, मत्स्य
6. पालन व मृदा संरक्षण में सहायक है।
7. बाढ़ रोकने में भी सहायता मिलती है।
8. जल भंडारण में सहायता मिलती है।
9. नहरों द्वारा नौका परिवहन में भी सहायता मिलती है।
10. मत्स्य पालन के लिए उत्तम क्षेत्र प्रदान करती है।
बहुउद्देशीय परियोजना से हानि –
1. नदियों का प्राकृतिक बहाव अवरुद्ध होने से तलछट भाव कम हो जाता है।
2. अत्याधिक तलछट जलाशय की तली पर जमा हो जाता है।
3. इससे भूमि का निम्नीकरण होता है।
4. भूकंप की संभावना बढ़ जाती है।
5. किसी कारणवश बांध के टूटने पर बाढ़ आ जाना।
6. जल जनित बीमारियां, प्रदूषण वनों की कटाई, मृदा वनस्पति का अपघटन हो जाता है।
7. बाढ़ के मैदान में जलाशय बनाने से वहां की वनस्पति नष्ट हो जाती है,और उपजाऊ मिट्टी जलाशय में चली जाती है।