पृथ्वी पर आधे से अधिक भाग पर जल की उपस्थिति के कारण पृथ्वी को नीले ग्रह की संज्ञा दी जाती है। पृथ्वी पर जीवो की उत्पत्ति के मुख कारण जल ही है। पृथ्वी पर जल अलग-अलग रूपों में पाया जाता है जो निम्नलिखित है:-
- भू पृष्ठीय जल
- भूमिगत जल
- वायुमंडलीय जल
- महासागरीय जल
जल का वितरण
पृथ्वी पर कूल जल के वितरण को देखने से पता चलता है कि जल का अधिकांश भाग दक्षिणी गोलार्ध में पाया जाता है । इसी कारण दक्षिणी गोलार्ध को जल गोलार्ध के नाम से भी जाना जाता है जबकि उत्तरी गोलार्ध में स्थल अधिक होने के कारण इसे स्थलीय गोलार्ध के नाम से जाना जाता है।
पृथ्वी पर कुल जल की आयतन का 96.5 प्रतिशत जल महासागरों में पाया जाता है । पृथ्वी पर उपलब्ध जल का अधिकांश भाग लवणीय है फिर भी जैव विविधता के लिए महत्वपुर्ण है पृथ्वी पर कुल जल का मात्र 2.5 प्रतिशत मीठा जल है।
जल का उपयोग
मनुष्य विभिन्न कार्यों जल में प्रयोग करता है :-
- इमारतों, नहरों, घाटी, पुलों, जलघरों, जलकुंडों, नालियों एवं शक्तिघरों आदि के निर्माण में।
- खाना पकाने में ।
- सफाई करने में ।
- गर्म पदार्थ को ठंडा करने में ।
- वाष्प शक्ति, परिवहन में।
- सिंचाई व मत्स्यपालन आदि कार्यों के लिये किया जाता है।
जल में कितने पाये तत्व है?
पानी का एक अणु दो तत्वों;- हाइड्रोजन तथा आक्सीजन से बना होता है। जल के एक अणु में हाइड्रोजन के दो परमाणु तथा आक्सीजन का एक परमाणु का होता है। जल का अणुभार 18 होता है।