मृदा की लवणीयता तथा क्षारीयता
मृदा की लवणीयता और क्षारीयता, कृषि उत्पादकता को प्रभावित करने वाले दो प्रमुख मुद्दे हैं। ये दोनों स्थितियां मिट्टी में खनिज लवणों की अधिकता के कारण होती हैं।
लवणीयता: जब मिट्टी में घुलनशील लवणों (जैसे सोडियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम के क्लोराइड और सल्फेट) की मात्रा अधिक हो जाती है, तो मिट्टी लवणीय हो जाती है। यह स्थिति आमतौर पर शुष्क क्षेत्रों में सिंचाई के कारण होती है, जहां पानी का वाष्पीकरण होने से लवण मिट्टी की सतह पर जमा हो जाते हैं।
क्षारीयता: जब मिट्टी में सोडियम की मात्रा अधिक होती है, तो मिट्टी क्षारीय हो जाती है। उच्च सोडियम स्तर मिट्टी की संरचना को बिगाड़ते हैं, जिससे पानी और हवा का प्रवाह कम हो जाता है। इसके परिणामस्वरूप पौधों की जड़ों को नुकसान होता है और उनकी वृद्धि बाधित होती है।
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Soil Alkalinity
लवणीयता और क्षारीयता के प्रभाव:
पौधों की वृद्धि में बाधा: उच्च लवणता और क्षारीयता पौधों के लिए विषैले होते हैं और उनकी वृद्धि को रोकते हैं।
मिट्टी की संरचना में परिवर्तन: ये स्थितियां मिट्टी की संरचना को बिगाड़ती हैं, जिससे पानी और हवा का प्रवाह कम हो जाता है।
पोषक तत्वों की उपलब्धता में कमी: उच्च लवणता और क्षारीयता मिट्टी में पोषक तत्वों की उपलब्धता को कम कर देते हैं।
फसल उत्पादन में कमी: इन स्थितियों के कारण फसल उत्पादन में काफी कमी आ जाती है।
लवणीयता और क्षारीयता का प्रबंधन:
जल निकासी: अतिरिक्त लवणों को निकालने के लिए जल निकासी एक महत्वपूर्ण उपाय है।
जिप्सम का उपयोग: जिप्सम सोडियम को बदलकर मिट्टी की क्षारीयता को कम करने में मदद करता है।
फसल चक्र: लवण सहनशील फसलों को उगाकर मिट्टी की लवणीयता और क्षारीयता को कम किया जा सकता है।
जैविक पदार्थ: जैविक पदार्थ मिट्टी की संरचना में सुधार करते हैं और लवणीयता और क्षारीयता को कम करने में मदद करते हैं।
निष्कर्ष:
मृदा की लवणीयता और क्षारीयता कृषि उत्पादकता के लिए एक गंभीर खतरा हैं। इन समस्याओं का प्रबंधन करके हम कृषि भूमि की उत्पादकता को बढ़ा सकते हैं और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित कर सकते हैं।