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अशोक स्तंभ

 सम्राट अशोक मौर्य वंश (Maurya Dynasty) का तीसरे शासक थे और प्राचीन काल में भारतीय उपमहाद्वीप के सबसे शक्तिशाली राजाओं में से एक थे। उसने 273 ई.पू. से 232 ई.पू. भारत में शासन किया। अशोक के साम्राज्य में अधिकांश भारत, दक्षिण एशिया और उससे आगे, अब का अफगानिस्तान और पश्चिम में फारस के कुछ हिस्सों, पूर्व में बंगाल और असम और दक्षिण में मैसूर शामिल हुआ था। बौद्ध साहित्य में अशोक एक क्रूर और निर्दयी सम्राट बताया गया है। लेकिन कलिंग के युद्ध के बाद उसने बौद्ध धर्म ग्रहण किया और धर्म के सिद्धांतों के प्रसार के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। अशोक ने देश के विभिन्न भागों में कई स्तूपों और स्तंभों का निर्माण कराया। इनमें से एक स्तंभ जो सारनाथ में स्थित है, उसको भारत के राष्ट्रीय प्रतीक (National Emblem) के रुप में अपनाया गया है।

  • भारत के राज्य चिन्ह या राष्ट्रीय प्रतीक को 26 जनवरी को अपनाया गया था । उत्तर प्रदेश के साथ में निर्मित अशोका स्तंभ  के ऊपर में लगे स्तंभ से लिया गया।
  • अशोक स्तंभ का निर्माण 250 का पूर्व में किया गया था बुद्ध ने अपना पहला उपदेश सारनाथ में ही दिया था यह राष्ट्रीय प्रतीक राष्ट्रीय पहचान के सबसे नजदीक दिखाई देता है इसका उपयोग भारतीय गणतंत्र के मोहर के रूप में भी किया जाता है । 
  • अशोका स्तंभ में चार शेर हैं जो चार अलग-अलग दिशाओं में है। यह शेर साहस गर्व शक्ति और आत्मविश्वास का प्रतिनिधित्व करते हैं ।
  • सारनाथ के स्तंभ की खुदाई 1925 में फ्रेडरिक ऑस्कर औरटेल ने की थी ।
  • संविधान ड्राफ्टिंग की तैयारी के समय दीनानाथ भार्गव को राष्ट्रीय चिन्ह डिजाइन करने के लिए चुना गया था । दस्तावेज में चित्रण करने वाले नंदलाल बोस की सलाह पर दीनानाथ ने संविधान के पहले पृष्ठ पर  राष्ट्रीय चिन्ह का रेखा चित्रण किया था।
  • हाल ही में सांसद भवन की नई इमारत और 6.5 मीटर ऊंचे और 9500 किलोग्राम भार के कास्य से निर्मित राष्ट्रीय चिन्ह की स्थापना की गई है इस नए राष्ट्रीय चिन्ह के मूर्तिकार सुनील देओरे हैं ।

नए संसद भवन पर लगा अशोक स्तंभ

1. नए संसद भवन की छत पर बना अशोक स्तंभ यानी राष्ट्रीय प्रतीक ब्रॉन्ज से बना है, जिसका वजन 9500 किलो है और उसकी लंबाई 6.5 मीटर है।

2. इसके चारों ओर स्टील का एक सपोर्टिंग स्ट्रक्चर बनाया गया है, जिसका वजन करीब 6500 किलोग्राम है।

3. इस अशोक स्तंभ के कॉन्सेप्ट और इसे नए संसद भवन की छत पर लगाने तक की प्रक्रिया आठ स्टेज से गुजरी है।

4. इस प्रोसेस में क्ले मॉडलिंग और कंप्यूटर ग्राफिक्स से लेकर ब्रॉन्ज की ढलाई और इसकी पॉलिशिंग तक के प्रोसेस शामिल हैं।

5. सबसे पहले, इस प्रोजेक्ट में शामिल आर्किटेक्ट्स और ग्राफिक डिजाइनरों ने एक कंप्यूटर ग्राफिक स्केच तैयार किया था। इसके बाद ग्राफिक स्केच के आधार पर एक क्ले मॉडल बनाया।

6. केंद्रीय लोक निर्माण विभाग यानी CPWD की सलाह पर ब्रॉन्ज मेटल से बने राष्ट्रीय प्रतीक का शुरुआती कॉन्सेप्ट डिजाइन अहमदाबाद के हसमुख सी पटेल ने तैयार किया था।

7. इसके बाद टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड और औरंगाबाद के सुनील देवरे ने क्ले और थर्मोकोल मॉडल तैयार किए।

8. इस अशोक स्तंभ के बनाने के बाकी प्रोसेस को जयपुर और दिल्ली में लक्ष्मण व्यास की अगुआई में विशेषज्ञ कारीगरों ने पूरा किया।

9. इस अशोक स्तंभ को बनाने में 100 से ज्यादा कारीगरों ने 9 महीने से ज्यादा समय तक काम किया।

10. इस प्रतीक को नए संसद भवन की छत पर ले जाना बेहद चुनौतीपूर्ण था, क्योंकि ये जमीन से 33 मीटर यानी करीब 108 फीट ऊंचा है। इसके लिए प्रतीक को 150 टुकड़ों में बांटा गया था और फिर इसे छत पर असेंबल किया गया। इसके 150 टुकड़ों को असेंबल करने में ही करीब दो महीने लग गए।

11. इस प्रतीक को उच्च गुणवत्ता वाले कांस्य यानी ब्रॉन्ज से बनाया गया है। इसे भारतीय कारीगरों द्वारा पूरी तरह हाथ से बनाया गया है।

12. रिपोर्ट्स के मुताबिक, मटेरियल और शिल्प कौशल के लिहाज से भारत में कहीं और अशोक स्तंभ का इस तरह चित्रण नहीं किया गया है

13. ये मॉडल अशोक स्तंभ का प्रतिरूप है। दरअसल, अशोक स्तंभ या अशोक चिह्न ही भारत का राष्ट्रीय प्रतीक है। इसे सारनाथ स्थित ‘अशोक की लाट’ या ‘लॉयन कैपिटल ऑफ अशोक’ से लिया गया है।

14. भारत के राष्ट्रीय प्रतीक को 26 जनवरी 1950 को अपनाया गया था, उसी दिन देश का संविधान लागू हुआ था।