किसी वस्तु को या किसी व्यक्ति को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने या ले आने की प्रक्रिया को परिवहन कहा जाता है या दूसरे शब्दों में कह सकते हैं कि विभिन्न प्रकार के यातायात के साधनों के माध्यम से किसी भी वस्तु तथा सेवाओं को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने की प्रक्रिया परिवहन कहलाती है ।
परिवहन के प्रकार
परिवहन मुख्य रूप से चार प्रकार के होते हैं ।
- सड़क मार्ग
- रेल मार्ग
- जलमार्ग
- वायु मार्ग
- पाइपलाइन मार्ग
- सड़क मार्ग
सड़क मार्ग परिवहन का सबसे सामान्य सुलभ एवं सुगम साधन है सड़क के माध्यम से प्राचीन काल से ही लोग एक जगह से दूसरी जगह आते जाते रहे हैं सड़क लोगों के आवागमन का एक अच्छा साधन है ।
- भारत में सड़क मार्ग का विकास
भारत में सड़क का विकास प्राचीन काल की ही देखने के लिए मिलता है । भारत के प्राचीन सभ्यताओं में सड़क मार्ग का विकास दिखाई देता है । इसका प्रारंभिक प्रमाण हड़प्पा और मोहनजोदड़ो की सभ्यता में मिलते हैं बुद्ध कालीन शासकों ने भी का निर्माण कराया । अंग्रेजों के शासन काल में नागपुर सड़क योजना के अंतर्गत उल्लेखनीय प्रयास किए गए स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद लड़कों के बीच पर पर्याप्त ध्यान दिया गया । भारत में सड़कों की कुल लंबाई 1950 मैं 400000 किलोमीटर थी जो 2000 ईस्वी में बढ़कर 2400000 किलोमीटर हो गई वर्तमान समय में भारत सरकार ने कई योजनाओं के माध्यम से सड़कों का विकास कर रही है जो निम्नलिखित हैं ।
- राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना
- स्वर्णिम चतुर्भुज सड़क परियोजना
- प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना
- प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना आदि
सड़क के प्रकार
नागपुर सड़क योजना के अनुसार पहली बार देश की सड़कों को चार भागों में बांटा गया था जो निम्नलिखित हैं : –
- राष्ट्रीय राजमार्ग
राष्ट्रीय राजमार्ग के अंतर्गत आने वाली सड़कें देश के विभिन्न भागों को या प्रांतों को आपस में जोड़ने का काम करती हैं । यह सड़कें देश के एक छोर से दूसरे छोर तक फैली हुई है । भारत का सबसे बड़ा राष्ट्रीय राजमार्ग 7 है, जो जम्मू तवी को वाराणसी से जोड़ता है इसकी लंबाई 2003 को 69 किलोमीटर है ।
राष्ट्रीय राजमार्ग पर गाड़ियां तेज गति से चलती है । जिसके कारण दुर्भाग्यवश कभी-कभी दुर्घटनाएं भी हो जाया करती है, इसलिए यहां पर सुरक्षा के पर्याप्त उपाय किए गए हैं राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना के अंतर्गत अलग-अलग परियोजनाएं शुरू की गई है जो निम्नलिखित है ।
- स्वर्णिम चतुर्भुज राजमार्ग
इसके माध्यम से केंद्र सरकार द्वारा भारत के चारों प्रमुख महानगरों दिल्ली मुंबई चेन्नई और कोलकाता को जोड़ने वाली 6लेन वाली सड़कों का निर्माण किया जा रहा है, जिसकी लंबाई लगभग 5846 किलोमीटर है।
- पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण गलियारा
पूर्व में सिलचर से लेकर पश्चिम में पोर बंदर तक तथा उत्तर में श्रीनगर से लेकर दक्षिण में कन्याकुमारी तक को जोड़ने वाली सड़कों का निर्माण किया जा रहा है । जिसे पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण गलियारा के नाम से जाना जाता है । पूरब के पश्चिम गलियारा की कुल लंबाई 3640 किलोमीटर और उत्तर दक्षिण गलियारा की कुल लंबाई 4016 किलोमीटर प्रस्तावित है ।
- एक्सप्रेस वे
कम से कम समय में अपने गंतव्य स्थान तक पहुंचने के लिए बनाई गई सड़कों को एक्सप्रेस वे के नाम से जाना जाता है । इन सड़कों पर गाड़ियों की गति बहुत अधिक होती है । यह सड़कें चार लेन वाली होती है और इस पर सभी प्रकार की अत्याधुनिक सुविधाएं उपलब्ध कराने की कोशिश की जाती है, जिसके लिए इन सड़कों पर चलने वाली गाड़ियों को अतिरिक्त टोल टैक्स भी देने पड़ते हैं । मुंबई पुणे राष्ट्रीय राजमार्ग देश का पहला इस तरह की सड़क है ।
- राज्य राजमार्ग
राज्य राजमार्ग के अंतर्गत राज्य की राजधानियों को विभिन्न जिला मुख्यालयों के जोड़ने वाली सड़कों को शामिल किया जाता है । इस वर्गों की सड़कों के निर्माण तथा रखरखाव का काम राज्य सरकारों के द्वारा किया जाता है । यह मार्ग राष्ट्रीय राज्य मार्ग पर जुड़ी हुई होती है ।
- जिला सड़कें
जिला सड़कों के अंतर्गत विभिन्न जिला मुख्यालयों और शहरों को आपस में मिलाने वाली सड़कों को शामिल किया जाता है । देश की कुल सड़कों में जिला सड़कों का हिस्सा 14% है । इन सड़कों के निर्माण तथा रखरखाव की जिम्मेदारी राज्य सरकारों पर होती है किसी भी क्षेत्र के विकास में इस प्रकार की सड़कों का महत्वपूर्ण योगदान होता है ।
- ग्रामीण सड़कें
यह विभिन्न गांवों को एक दूसरे से जोड़ने का काम करती है, इसके अंतर्गत देश का लगभग 80% सड़क शामिल की जाती है । ग्रामीण सड़कों का विकास प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के अंतर्गत किया जा रहा है ।
- सीमांत सड़कें
देश के सीमावर्ती सड़कों को इसके अंतर्गत शामिल किया जाता है । यह सड़क राजनीतिक तथा सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होती है भारत में इन सड़कों का रखरखाव तथा निर्माण का काम सीमा सड़क संगठन के द्वारा किया जाता है । सीमा सड़क संगठन का स्थापना 1960 ईस्वी में की गई थी । युद्ध की स्थिति में इन सड़कों का महत्वपूर्ण योगदान होता है । इन्हीं सड़कों के माध्यम से सीमा पर सैनिक तथा आवश्यक सामानों को भेजा जाता है ।