Class 9 Chapter 3 अपवाह स्वरूप
• अपवाह
• भारत में अपवाह तंत्र
• अपवाह प्रतिरूप
• हिमालय की नदियाँ
→ सिन्धु नदी तंत्र
→ गंगा नदी तंत्र
→ ब्रह्मपुत्र नदी तंत्र
• प्रायद्वीपीय नदियाँ
→ नर्मदा द्रोणी
→ तापी द्रोणी
→ गोदावरी द्रोणी
→ महानदी द्रोणी
→ कृष्णा द्रोणी
→ कावेरी द्रोणी
• झीलें
• नदियों का अर्थव्यवस्था में महत्व
• नदी प्रदूषण
अपवाह
• अपवाह शब्द एक क्षेत्र के नदी तंत्र की व्याख्या करता है।
• एक नदी तंत्र द्वारा जिस क्षेत्र का जल प्रवाहित होता है उसे एक अपवाह द्रोणी कहते हैं।
• कोई भी ऊँचा क्षेत्र, जैसे- पर्वत या उच्च भूमि दो पड़ोसी अपवाह द्रोणियों को एक दुसरे से अलग करती है, जल विभाजक कहलाता है।
भारत में अपवाह तंत्र
• भारतीय नदियों को दो मुख्य वर्गों में विभाजित किया गया है-
→ हिमालय की नदियाँ
→ प्रायद्वीपीय नदियाँ
• हिमालय नदियों की विशेषताएँ:
→ हिमालय की नदियाँ अधिकतर बारहमासी होती हैं।
→ इनमें वर्ष भर पानी रहता है क्योंकि इन्हें वर्षा के अतिरिक्त ऊँचे पर्वतों से पिघलने वाले हिम द्वारा भी जल प्राप्त होता है।
→ हिमालय की नदियाँ अपने उत्पत्ति के स्थान से लेकर समुद्र तक के लम्बे रास्ते को तय करती है।
→ मध्य एवं निचले भागों में ये नदियाँ विसर्प, गोखुर झील तथा अपने बाढ़ वाले मैदानों में बहुत-सी अन्य निक्षेपण-आकृतियों का निर्माण करती है।
• प्रायद्वीपीय नदियों की विशेषता :
→ ये नदियाँ मौसमी होती हैं।
→ इनका प्रवाह वर्षा पर निर्भर करता है।
→ हिमालय की नदियों की तुलना में प्रायद्वीपीय नदियों की लम्बाई कम तथा छिछली हैं।
→ प्रायद्वीपीय भारत की अधिकतर नदियाँ पश्चिमी घाट से निकलती हैं तथा बंगाल की खाड़ी तरफ बहती हैं।
अपवाह प्रतिरूप
• एक अपवाह प्रतिरूप में धाराएँ एक निश्चित प्रतिरूप का निर्माण करती हैं, जो कि उस क्षेत्र की भूमि की ढाल, जलवायु सम्बन्धी अवस्थाओं तथा अधःस्थल शैल संरचना पर आधारित है।
• अपवाह प्रतिरूप के प्रकार-
→ द्रुमाकृतिक अपवाह
→ जालीनुमा अपवाह
→ आयताकार अपवाह
→ अरीय अपवाह
हिमालय की नदियाँ
• सिन्धु, गंगा तथा ब्रह्मपुत्र हिमालय से निकलने वाली प्रमुख नदियाँ हैं।
• किसी नदी तथा उसकी सहायक नदियों को नदी तंत्र कहा जाता है।
सिन्धु नदी तंत्र
• उद्गम- सिन्धु नदी का उद्गम मानसरोवर झील के निकट तिब्बत में है।
• पश्चिम की ओर बहती हुई यह नदी भारत में जम्मू कश्मीर के लद्दाख जिले से प्रवेश करती है।
• सिन्धु की सहायक नदियाँ :
→ जास्कर, नूबरा, श्योक तथा हुंजा इस नदी में मिलती है।
→ सतलुज, ब्यास, रावी, चेनाब तथा झेलम आपस में मिलकर पाकिस्तान में मिठानकोट के पास सिन्धु नदी में मिल जाती है।
• सिन्धु नदी के मैदान का ढाल बहुत धीमा है।
• कुल लम्बाई- 2,900 कि.मी.।
• सिन्धु द्रोणी का का एक तिहाई से कुछ अधिक भाग भारत के जम्मू-कश्मीर, हिमाचल तथा पंजाब में तथा शेष भाग पकिस्तान में स्थित है।
गंगा नदी तंत्र
• उद्गम- गंगा की मुख्य धारा ‘भागीरथी’ गंगोत्री हिमानी से निकलती है।
• गंगा की सहायक नदियाँ :
→ अलकनंदा उत्तरांचल के देवप्रयाग में इससे मिलती है।
→ यमुना नदी हिमालय के यमुनोत्री हिमानी से निकलती है तथा इलाहबाद में गंगा से मिलती है।
→ घाघरा, गंडक तथा कोसी, नेपाल हिमालय से निकलती है।
→ चम्बल, बेतवा तथा सोन नदियाँ अर्ध-शुष्क क्षेत्रों से निकलती हैं।
• नदी पश्चिम बंगाल के फरक्का में आकर दो भागों में बंट जाती है।
→ भागीरथी-हुगली (जो इसकी एक वितरिका है), दक्षिण की तरफ बहती है तथा डेल्टा के मैदान से होते हुए बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है।
→ मुख्य धारा दक्षिण की ओर बहती हुई बांगलादेश में प्रवेश करती है एवं ब्रह्मपुत्र नदी इससे आकर मिल जाती है।
• कुल लम्बाई- 2,500 कि.मी.।
• सुंदरवन डेल्टा- गंगा एवं ब्रह्मपुत्र नदियों द्वारा बनाये गये डेल्टा को सुंदरवन डेल्टा के नाम से जाना जाता है।
ब्रह्मपुत्र नदी तंत्र
• उद्गम- ब्रह्मपुत्र नदी तिब्बत की मानसरोवर झील के पूर्व तथा सिन्धु एवं सतलुज के स्रोतों के काफी नजदीक से निकलती है।
• ब्रह्मपुत्र की सहायक नदियाँ :
→ दिबांग, लोहित तथा केनुला इसकी सहायक नदियाँ हैं।
• यह हिमालय के समानांतर पूर्व की ओर बहती है। नामचा बारवा शिखर (7,757 मीटर) के पास पहुंचकर यह अंग्रेजी के 'यू' (U) अक्षर जैसा मोड़ बनाकर भारत के अरूणाचल प्रदेश में गार्ज के माध्यम से प्रवेश करती है|
→ यहाँ इसे दिहांग के नाम से जाना जाता है तथा दिबांग, लोहित तथा केनुला एवं दूसरी सहायक नदियाँ इससे मिलकर असम में ब्रह्मपुत्र का निर्माण करती है।
• तिब्बत एक शीत एवं शुष्क क्षेत्र है अतः यहाँ इस नदी में जल एवं सिल्ट की मात्रा बहुत कम होती है।
→ भारत में यह उच्च वर्षा वाले क्षेत्र से होकर गुजरती है। यहाँ नदी में जल एवं सिल्ट की मात्रा बढ़ जाती है।
• यह बहुत से नदीय द्वीपों का निर्माण करती है।
प्रायद्वीपीय नदियाँ
• प्रायद्वीपीय भारत में मुख्य जल विभाजक का निर्माण पश्चिमी घाट द्वारा होता है।
• प्रायद्वीपीय भाग की अधिकतर मुख्य नदियाँ जैसे- महानदी, गोदावरी, कृष्णा तथा कावेरी पूर्व की ओर बहती है तथा बंगाल की खाड़ी में गिरती है।
• नर्मदा एवं तापी, दो ही बड़ी नदियाँ हैं जो कि पश्चिम की तरफ बहती है और ज्वारनदमुख का निर्माण करती है।
नर्मदा द्रोणी
• उद्गम- नर्मदा का उद्गम मध्य प्रदेश में अमरकंटक पहाड़ी के निकट है।
• यह पश्चिमी की ओर एक भ्रंश घाटी में बहती है।
• नर्मदा की सभी सहायक नदियाँ बहुत छोटी हैं, इनमें से अधिकतर समकोण पर मुख्य धारा से मिलती है।
• नर्मदा द्रोणी मध्य प्रदेश तथा गुजरात के कुछ भागों में विस्तृत है।
तापी द्रोणी
• उद्गम- तापी का उद्गम मध्य प्रदेश के बेतुल जिले में सतपुड़ा की श्रृंखलाओं में है।
• यह भी नर्मदा के समानांतर एक भ्रंश घाटी में बहती है, लेकिन इसकी लम्बाई बहुत कम है।
• इसकी द्रोणी मध्य प्रदेश, गुजरात तथा महाराष्ट्र राज्य में है।
• पश्चिम की ओर बहने वाली मुख्य नदियाँ साबरमती, माही, भारत-पुजा तथा पेरियार हैं।
गोदावरी द्रोणी
• उद्गम- यह महाराष्ट्र के नासिक जिले में पश्चिम घाट की ढालों से निकलती है।
• यह सबसे बड़ी प्रायद्वीपीय नदी है।
• गोदावरी की सहायक नदियाँ :
→ पूर्णा, वर्धा, प्रान्हिता, मांजरा, वेनगंगा तथा पेनगंगा।
• इसकी द्रोणी महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उड़ीसा तथा आंध्रप्रदेश में स्थित है।
• यह बहकर बंगाल की खाड़ी में गिरती है।
• कुल लम्बाई- 1,500 कि.मी.।
• बड़े आकार और विस्तार के कारण इसे ‘दक्षिण गंगा’ के नाम से भी जाना जाता है।
महानदी द्रोणी
• उद्गम- महानदी का उद्गम छत्तीसगढ़ की उच्चभूमि से है।
• यह उड़ीसा से बहते हुए बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है।
• इसकी अपवाह द्रोणी महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, झारखण्ड तथा उड़ीसा में है।
• कुल लम्बाई- 860 कि.मी.।
कृष्णा द्रोणी
• यह महाबलेश्वर के निकट एक स्रोत से निकलती है।
• कृष्णा की सहायक नदियाँ :
→ तुंगभद्रा, कोयना, घाटप्रभा, मुसी तथा भीमा इसकी सहायक नदियाँ हैं।
• कुल लम्बाई- 1,400 कि.मी.।
• इसकी द्रोणी महाराष्ट्र, कर्नाटक तथा आंध्रप्रदेश में फैली हैं।
कावेरी द्रोणी
• उद्गम- कावेरी पश्चिम घाट के ब्रह्मगिरी श्रृंखला से निकलती है।
• कावेरी की सहायक नदियाँ :
→ अमरावती, भवानी, हेमावती तथा काबिनि इसकी सहायक नदियाँ हैं।
• कुल लम्बाई- 760 कि.मी.।
• इसकी द्रोणी तमिलनाडु, केरल तथा कर्नाटक में विस्तृत है।
• दामोदर, ब्रह्मणी, वैतरणी तथा सुवर्ण रेखा पूर्व की ओर बहने वाली नदियों के उदहारण हैं।
झीलें
• भारत में बहुत सी झीलें हैं जो एक दूसरे से आकार तथा अन्य लक्षणों में भिन्न हैं।
• अधिकतर झीलें स्थायी होती हैं तथा कुछ में केवल वर्षा ऋतु में ही पानी होता है।
• यहाँ कुछ ऐसी झीलें हैं, जिनका निर्माण हिमानियों एवं बर्फ चादर की क्रिया के फलस्वरूप हुआ है जबकि कुछ अन्य झीलों का निर्माण वायु, नदियों एवं मानवीय क्रियाकलापों के कारण हुआ है।
• एक विसर्प नदी बाढ़ वाले क्षेत्रों में कटकर गौखुर झील का निर्माण करती है।
• मीठे पानी की अधिकांश झीलें हिमालय क्षेत्र में है।
→ ये तब बनीं जब किसी क्षेत्र में शिलाओं अथवा मिट्टी से हिमानी मार्ग बंध गए।
• जम्मू तथा कश्मीर की वुलर झील भारत की सबसे बड़ी मीठे पानी वाली प्राकृतिक झील है।
• मानव-निर्मित झील- जल विद्युत् उत्पादन के लिए नदियों पर बाँध बनाने से भी झील का निर्माण हो जाता है, जैसे- गुरु गोबिंद सागर (भाखड़ा-नंगल परियोजना)।
• झीलों का महत्व :
→ एक झील नदी के बहाव को सुचारू बनाने में सहायक होती है। अत्यधिक वर्षा के समय यह बाढ़ को रोकती है तथा सूखे के मौसम में यह पानी के बहाव को संतुलित करने में सहायता करती है।
→ इनका प्रयोग जलविद्युत उत्पन्न करने में भी किया जा सकता है।
→ ये आस-पास के क्षेत्रों की जलवायु को सामान्य बनाती हैं।
→ जलीय पारितंत्र को संतुलित रखती हैं।
→ झीलों की प्राकृतिक सुन्दरता व पर्यटन को बढ़ाती हैं तथा हमें मनोरंजन प्रदान करती हैं।
नदियों का अर्थव्यवस्था में महत्व
• प्राचीन काल से ही नदियों का जल प्राकृतिक संसाधन है तथा अनेक मानवीय क्रियाकलापों के लिए अनिवार्य रहा है।
• सिंचाई, नौसंचालन, जलविद्युत निर्माण में नदियों का महत्व बहुत अधिक है।
नदी प्रदूषण
• नदी जल की घरेलू, औद्योगिक तथा कृषि में बढ़ती माँग के कारण, इसकी गुणवत्ता प्रभावित हुई हैं।
• इसके परिणामस्वरूप, नदियों से अधिक जल की निकासी होती है तथा इसका आयतन घटता जाता है।
• उद्योगों का प्रदूषण तथा अपरिष्कृत कचरों के नदी में मिलने से जल की गुणवत्ता को ही नहीं बल्कि नदी की स्वतः स्वच्छीकरण की क्षमता को भी प्रभावित करता है।
• नदियों में बढ़ते प्रदूषण के कारण इनको स्वच्छ बनाने के लिए अनेक कार्य योजनाएँ लागू की गई हैं।
(ख) पंजाब
(ग) उत्तर प्रदेश
(घ) जम्मू कश्मीर
► (घ) जम्मू कश्मीर
(iii) नर्मदा नदी का उद्गम कहाँ से है?
(क) सतपुड़ा
(ख) अमरकंटक
(ग) ब्र्ह्मगिरी
(घ) पश्चिमी घाट के ढाल
► (ख) अमरकंटक
(iv) निम्नलिखित में से कौन-सी लवणीय जल वाले झील है?
(क) सांभर
(ख) वूलर
(ग) डल
(घ) गोबिंद सागर
► (क) सांभर
(v) निम्नलिखित में से कौन-सी प्रायद्वीपीय भारत की सबसे बड़ी नदी है?
(क) नर्मदा
(ख) गोदावरी
(ग) कृष्णा
(घ) महानदी
► (ख) गोदावरी
(vi) निम्नलिखित नदियों में से कौन-सी नदी भ्रंश घाटी से होकर बहती है?
(क) महानदी
(ख) कृष्णा
(ग) तुंगभद्रा
(घ) तापी
► (घ) तापी
2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में दीजिए-
(i) जल विभाजक का क्या कार्य है? एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर
कोई भी ऊँचा क्षेत्र जैसे - पर्वत या उच्च भूमि दो पड़ोसी अपवाह द्रोणियों को एक-दूसरे से अलग करती है, उसे अपवाह कहते हैं। पश्चिमी घाट जल विभाजक का एक उदाहरण है।
(ii) भारत में सबसे विशाल नदी द्रोणी कौन-सी है?
उत्तर
भारत में सबसे विशाल नदी द्रोणी गंगा नदी की है।
(iii) सिंधु एवं गंगा नदियाँ कहाँ से निकलती हैं?
उत्तर
सिंधु नदी का उद्गम मानसरोवर झील के निकट तिब्बत में तथा गंगा नदी का उद्गम गंगोत्री हिमानी से होता है।
(iv) गंगा की दो मुख्य धाराओं के नाम लिखिए? ये कहाँ पर एक-दूसरे से मिलकर गंगा नदी का निर्माण करती हैं?
उत्तर
अलकनंदा और भागीरथी गंगा की दो मुख्य धाराएँ हैं। ये दोनों देवप्रयाग में मिलकर गंगा नदी का निर्माण करती हैं।
(v) लंबी धारा होने के बावजूद तिब्बत के क्षेत्रों में ब्र्ह्मपुत्र में कम गाद (सिल्ट) क्यों है?
उत्तर
तिब्बत एक शीत और शुष्क क्षेत्र है इसलिए लंबी धारा होने के बावजूद तिब्बत के क्षेत्रों में ब्र्ह्मपुत्र में कम गाद (सिल्ट) है।
(vi) कौन-सी दो प्रायद्वीपीय नदियाँ गर्त से होकर बहती हैं? समुद्र में प्रवेश में करने से पहले वे किस प्रकार की आकृतियों का निर्माण करती हैं?
उत्तर
दो प्रायद्वीपीय नदियाँ जो गर्त से होकर बहती हैं वे नर्मदा और तापी हैं। वे समुद्र में प्रवेश में करने से पहले ज्वारनदमुख का निर्माण करती हैं।
(vii) नदियों तथा झीलों के कुछ आर्थिक महत्व को बताएँ?
उत्तर
नदियाँ कृषि प्रयोजन और जलविद्युत के उत्पादन के लिए उपयोगी हैं। ये सिंचाई और नौसंचालन में सहायक हैं। सांभर जैसी झीलों के जल का उपयोग नमक के निर्माण के लिए किया जाता है। झीलें पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देती हैं और मनोरंजन का साधन हैं। इनका प्रयोग जलविद्युत के उत्पादन के लिए भी किया जा सकता है।
3. दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
(i) नीचे भारत की कुछ झीलों के नाम दिए गए हैं। इन्हें प्राकृतिक तथा मानव निर्मित वर्गों में बांटिए।
(क) वूलर (ख) डल
(ग) नैनीताल (घ) भीमताल
(ड़) गोबिंद सागर (च) लोकताक
(छ) बारापानी (ज) चिल्का
(झ) सांभर (य) राणा प्रताप सागर
(ट) निज़ाम सागर (ठ) पुलिकट
(ड) नागार्जुन सागर (ढ) हीराकुंड
उत्तर
प्राकृतिक झीलें: वूलर, डल, नैनीताल, भीमताल, चिल्का, पुलिकट, सांभर, बारापानी, लोकताक।
मानव निर्मित झीलें: गोबिंद सागर, हीराकुंड, राणा प्रताप सागर, नागार्जुन सागर, निज़ाम सागर।
4. हिमालय तथा प्रायद्वीपीय नदियों के मुख्य अंतरों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
हिमालय नदियाँ | प्रायद्वीपीय नदियाँ |
हिमालय से उत्पत्ति | पश्चिमी घाट से उत्पत्ति |
ये नदियाँ बारहमासी होती हैं। | ये नदियाँ मौसमी होती हैं। |
ये नदियाँ वर्षा के साथ-साथ ऊँचे पर्वतों से पिघलते हए बर्फ़ से पानी प्राप्त करती हैं। | ये नदियाँ पानी के लिए सिर्फ वर्षा पर आधारित हैं। सूखे मौसम में बड़ी नदियों का जल भी घटकर छोटी-छोटी धाराओं में बहने लगता है। |
5. प्रायद्वीपीय पठार के पूर्व एवं पश्चिम की ओर बहने वाली नदियों की तुलना कीजिए।
उत्तर
पूर्व की ओर बहने वाली नदियाँ | पश्चिम की ओर बहने वाली नदियाँ |
महानदी, गोदावरी, कृष्णा, कावेरी पूर्व की ओर बहने वाली प्रमुख नदियाँ हैं। | नर्मदा और तापी ही पश्चिम ओर बहने वाली दो प्रमुख नदियाँ हैं। |
ये नदियाँ बंगाल की खाड़ी की तरफ बहती हैं। | ये नदियाँ अरब सागर की तरफ बहती हैं। |
ज्यादा मात्रा में गाद का संवहन करती हैं इसलिए डेल्टा का निर्माण करती हैं। | कम मात्रा में गाद का संवहन करती हैं इसलिए ज्वारनदमुख का निर्माण करती हैं। |
ज्यादा सहायक नदियाँ | कम सहायक नदियाँ |
6. किसी देश की अर्थव्यवस्था के लिए नदियाँ महत्वपूर्ण क्यों हैं?
उत्तर
किसी देश की अर्थव्यवस्था के लिए नदियाँ महत्वपूर्ण इसलिए हैं क्योंकि:
• इनका जल मूल प्राकृतिक संसाधन है तथा अनेक मानवीय क्रियाकलापों के लिए अनिवार्य है।
• नदियों के जल का प्रयोग घरेलू, औद्योगिक तथा कृषि के लिए किया जाता है।
• इनका प्रयोग जलविद्युत के उत्पादन के लिए किया जाता है।
• इनका उपयोग नौसंचालन तथा परिवहन के लिए किया जाता है।
• ये मछली पालन जैसे उद्योगों में भी सहायक हैं।
मानचित्र कौशल
(i) भारत के मानचित्र पर निम्नलिखित नदियों को चिह्नित कीजिए तथा उनके नाम लिखिए -
गंगा, सतलुज, दामोदर, कृष्णा, नर्मदा, तापी, महानदी, दिहांग।
(ii) भारत के रेखा मानचित्र पर निम्नलिखित झीलों को चिह्नित कीजिए तथा उनके नाम लिखिए -
चिल्का, सांभर, वूलर, पुलीकट तथा कोलेरु।
उत्तर
क्रियाकलाप
नीचे दी गयी पहेली को हल करें -
नोट: पहेली के उत्तर अंग्रेजी के शब्दों में है।
बाएँ से दाएँ
1. नागार्जुन सागर नदी परियोजना किस नदी पर है?
2. भारत की सबसे लंबी नदी।
3. ब्यास कुंड से उतपन्न होने वाली नदी।
4. मध्य प्रदेश के बेतुल जिले से उतपन्न होकर पश्चिम को ओर बहने वाली नदी।
5. पं. बंगाल 'शोक' के नाम से जानी जाने वाली नदी।
6. किस नदी से इंदिरा गाँधी नहर निकाली गयी है।
7. रोहतांग दर्रा के पास किस नदी का स्त्रोत है?
8. प्रायद्वीपीय भारत की सबसे लंबी नदी।
ऊपर से नीचे
9. सिंधु नदी की सहायक नदी, जिस का उद्गम हिमाचल प्रदेश में है।
10. भ्रंश अपवाह होकर अरब सागर में मिलने वाली नदी।
11. दक्षिण भारतीय नदी, जो ग्रीष्म तथा शीत ऋतू में दोनों में वर्षा का जल प्राप्त करती है।
12. लद्दाख, गिलगित तथा पाकिस्तान से बहने वाली नदी।
13. भारतीय मरुस्थल की एक महत्वपूर्ण नदी।
14. पाकिस्तान में चेनाब से मिलने वाली नदी।
15. यमुनोत्री हिमानी से निकलने वाली नदी।
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वस्तुनिष्ठ प्रश्न
बहुविकल्पीय प्रश्न :
प्रश्न 1.लक्ष्मीसागर झील किस राज्य में स्थित है ?
(क) मध्यप्रदेश
(ख) उतर प्रदेश
(ग) बिहार
(घ) झारखंड
उत्तर-
(ग) बिहार
प्रश्न 2.निम्न में से कौन लवणीय झील है ?
(क) वूलर
(ख) डल
(ग) सांभर
(घ) गोविन्दसागर
उत्तर-
(ग) सांभर
प्रश्न 3.गंगा नदी पर गांधी सेतु किस शहर के निकट अवस्थित है ?
(क) भागलपुर
(ख) कटिहार
(ग) पटना
(घ) गया
उत्तर-
(ग) पटना
प्रश्न 4.कौन-सी नदी भ्रंश घाटी से होकर बहती है ?
(क) महानदी
(ख) कृष्णा
(ग) तापी
(घ) तुंगभ्रदा
उत्तर-
(ग) तापी
प्रश्न 5.कौन-सी नदी प्रायद्वीपीय भारत की सबसे लम्बी नदी है ?
(क) नर्मदा
(ख) गोदावरी
(ग) कृष्णा
(घ) महानदी
उत्तर-
(ख) गोदावरी
प्रश्न 6.सिंधु जल समझौता कब हुआ था ?’
(क) 1950 ई० में
(ख) 1955 ई० में
(ग) 1960 ई० में
(घ) 1965 ई० में
उत्तर-
(ग) 1960 ई० में
प्रश्न 7.‘शांग-पो’ किस नदी का उपनाम है
(क) गंगा
(ख) ब्रह्ममपुत्र
(ग) सतलुज
(घ) गोदावरी
उत्तर-
(ख) ब्रह्ममपुत्र
प्रश्न 8.इनमें से गर्म जल का जल प्रपात कौन है ?
(क) ककोलत
(ख) गरसोप्पा
(ग) ब्रह्मकुंड
(घ) शिवसमुद्रम
उत्तर-
(ग) ब्रह्मकुंड
प्रश्न 9.कोसी नदी का उद्गम स्थल है ?
(क) गंगोत्री
(ख) मानसरोवर
(ग) गोसाईंथान
(घ) सतपुड़ा श्रेणी
उत्तर-
(ग) गोसाईंथान
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.जल विभाजक का क्या कार्य है ? एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
जब कोई ऊँचा.क्षेत्र, जैसे पर्वत या उच्चभूमि दो निकटवर्ती अपवाह श्रेणियों को एक-दूसरे से अलग करती है तब ऐसी उच्च भूमि जल विभाजक कहलाती है। जैसे-दिल्ली की उच्चभूमि सतलज बेसिन और गंगा बेसिन को अलग करने के कारण जल विमाजका का उदाहरण है।
प्रश्न 2.भारत में सबसे विशाल नदी द्रोणी कौन-सी है?
उत्तर-
भारत की सबसे विशाल नदी द्रोणी गंगा है। इसकी लम्बाई 2525 किमी० है।
प्रश्न 3.सिंध एवं गंगा नदियाँ कहाँ से निकलती हैं ?
उत्तर-
सिंधु नदी तिब्बत के निकट मानसरोवर झील से निकलती है जबकि गंगा हिमालय की गंगोत्री नामक हिमानी से निकलती है ।
प्रश्न 4.गंगा की दो प्रारंभिक धाराओं के नाम लिखिए ? ये कहाँ पर एक-दूसरे से मिलकर गंगा नदी का निर्माण करती हैं ?
उत्तर-गंगा की दो मुख्य धाराएँ अलकनंदा और भागीरथी हैं । ये देव प्रयाग नामक स्थान पर मिलकर गंगा नदी का निर्माण करती हैं।
प्रश्न 5.लम्बी धारा होने के बावजूद तिब्बत के क्षेत्रों में ब्रह्मपुत्र में कम गाद(सिल्ट) क्यों है ?
उत्तर-
तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी का मार्ग काफी लम्बा है । परन्तु इस मार्ग में इसे वर्षा अथवा अन्य साधनो से कम जल प्राप्त होता है । कम जल के कारण इसकी अपरदन शक्ति कम होती है । इसी कारण इसमें गाद (सिल्ट) की मात्रा कम होती है ।
प्रश्न 6.कौन-सी दो प्रायद्वीपीय नदियाँ धासान घाटी से होकर बहती हैं ? समुद्र में प्रवेश करने के पहले वे किस प्रकार की आकृतियों का निर्माण करती हैं ?
उत्तर-
नर्मदा एंव तापी दो प्रायाद्वीप में प्रवेश करने के पहले ज्वारनदमुख (estury) का निर्माण करती हैं।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.हिमालय तथा प्रायद्वीपीय भारत की नदियों की मुख्य विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
भारत की नदियों के दो वर्ग हैं –
(1) हिमालय की नदियाँ तथा (2) प्रायद्वीपीय नदियाँ अलग-अलग भौगोलिक प्रदेशों में इनकी उत्पत्ति होने के कारण नदियाँ एक दूसरे से । भिन्न हैं । इनकी भिन्नता के कारन ही इनकी खास विशेषता हो गई हैं
(i) हिमालय की अधिकांश नदियाँ बारहमासी अथवा स्थायी हैं । इन्हें वर्षा के जल के अतिरिक्त पर्वत की चोटियों पर जमे हिम के पिघलने से सलो भर जलापूर्ति होती रहती है।
(ii) सिंधु एंव ब्रह्मपुत्र जैसी भारत की प्रमुख नदियाँ हिमालय से निकलती हैं । इन नदियों ने प्रवाह के क्रम में पर्वतों को काटकर गार्ज का निर्माण किया है । जसै-ब्रह्मपुत्र नदी हिमालय के नामचा बरवा शिखर के पास अंग्रेजी के ‘U’ आकार का मोड़ बनाकर अरुणाचल प्रदेश में गार्ज का निर्माण करती है ।
(iii) हिमालय जनित नदियाँ उद्गम स्थल से समुद्र तक यात्रा के दौरान अनेक प्रकार के क्रिया-कलाप को अंजाम देती हैं।
(iv) ये नदियाँ अपने मार्ग के ऊपरी भाग में तीव्र अपरदन करती है और सिल्ट (गाद) बालू, मिट्टी जैसे-अपरदित पदार्थो को ढोते चलती है। नदियाँ ज्यों-ज्यों आगे बढ़ती है, अबसाद की मात्रा बढ़ती जाती है । इसे मध्य एंव निचले मार्ग में जहाँ भूमि की ढाल की हो जाती है, नदियों का संवहन करने में कठिनाई होती है ।
(v) परिणामतः नदियाँ उसे जमा करती है, जिससे गोखर झील, बाढ़ का मैदान और डेल्टा जैसे अनेक आकृतियों का निर्माण करती हैं ।
प्रायद्वीपीय नदियाँ : इनकी निम्नलिखित विशेषताएँ हैं-
- यहाँ की अधिकांश नदियाँ मौसमी हैं, जिनका स्रोत मुख्यतः वर्षा का जल है ।
- ग्रीष्म काल में जब वर्षा नहीं होती है तो नदियाँ सिकुड़ कर पतली हो जाती हैं और छोटी धाराओं में बहने लगती है ।
- नर्मदा तथा तापी नदियाँ अरब सागर में गिरती हैं पठारी भाग से ही निकलती हैं। सागर में गिरने के पहले ज्वारनदमुख का निर्माण करती है।
- कृष्णा, कावेरी, महानदी, गोदावरी पश्चिमी घाटी से निकलकर
पूरब में बंगाल की खाड़ी में गिरती हैं और अपने मुहाने पर डेल्टा का निर्माण करती हैं।
प्रश्न 2.प्रायद्वीपीय पठार के पूर्व एवं पश्चिम की ओर प्रवाहित होने वाली नदियों की तुलना कीजिए।
उत्तर-
प्रायद्वीपीय पठार से निकलने वाली नदियाँ अनुगामी या अनुवर्ती नदी-प्रणाली कहलाती हैं। यहाँ पूर्व में बहने वाली मुख्य नदियाँ-महानदी, गोदावरी, तथा कृष्णा और कावेरी है तथा पश्चिम की ओर बहने वाली नदियों में नर्मदा और ताप्ती है। दोनों की तुलना इस प्रकार हैं
पूर्व की ओर बहने वाली नदियाँ –
- पूर्व की ओर बहने वाली नदियाँ बंगाल की खाड़ी में गिरती हैं।
- गोदावरी को दक्षिण की गंगा कहा जाता है।
- मुहाने के निकट इन नदियों की गति बहुत मंद पड़ जाती है। ये नदियाँ अपने मुहाने पर डेल्टा बनाती हैं।
- कुछ नदियों में शिवनाथ, हंस देव, मांद, जोंक, तेल, दूध गंगा, पंचगंगा, तुंगभद्रा, कोयना, घाटप्रभा, मालप्रभा, वैतरणी एवं सुवर्णरेखा
पश्चिम की ओर बहने वाली नदियाँ –
- ये नदियाँ अरब सागर में गिरती हैं।
- मुहाने के निकट इन नदियों की गति बहुत तेज हो जाती है।
- ये नदियाँ अपने मुहाने पर ज्वारनदमुख अथ्वा एस्चुअरी का निर्माण करती हैं।
- कुछ नदियों में गोवा का मांडवी और जुआरी, कर्नाटक की कालिन्दी, गंगावली, शर्वती तथा नेत्रवती, केरल की पेरियार, पम्बा तथा मनिमाला हैं जो अरब सागर में गिरती हैं। ये सभी तीव्रगामी नदियाँ हैं।
प्रश्न 3.
भारत की अर्थव्यवस्था में नदियों के महत्व पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
भारत की अर्थव्यवस्था में नदियों का महत्वपूर्ण सहयोग रहा है। –
- इन नदियों के प्रवाह से ही कृषि भूमि का आज 40% प्रतिशत भूभाग जलोढ़ मिट्टी से ढका हुआ है जो नदी घाटी, डेल्टा और तटीय मैदानी भागों में फैले हुए हैं ।
- गंगा, सिंधु, ब्रह्मपुत्र के डेल्टा एवं मैदानी भाग में जलोढ़ की प्रचुरता हैं जो अत्यंत ही उपजाऊ है।
- ये यातायात के साधन भी रही हैं। आज भी ब्रह्ममपुत्र, गंगा और यमुना में दूर-दूर तक स्टीमरें चलती हैं।
- ये जल विद्युत उत्पन्न कर रही हैं और जलशक्ति का भंडार भी है।
- ये नदियाँ मछलियाँ प्राप्त के साधन हैं । पूर्वी भारत के कितने ही लोगों के आहार में मछली की प्रमुखयता है। अतः मछली उद्योग – बहुतों की अजीबिका है।
- नदियाँ उद्योग केन्द्र और नगरों की स्थापना और विकास में मदद पहुँचाती हैं । जैसे स्वर्णरेखा का जमशेदपुर के विकास में, हुगली का कोलकाता के विकास में, गंगा का वाराणसी और कानपुर के विकास में ।
- नदियाँ पर्यटन के आकर्षक केन्द्र भी हैं।
- अनेक परियोजनाओं के द्वारा इसे और भी महत्वपूर्ण बनाया जा रहा है।
प्रश्न 4.
भारत में झीलों के प्रकार का वर्णन उदाहरण सहित कीजिए।
उत्तर-
निर्माण की दृष्टि से झीलों के निम्नलिखित प्रकार हैं
- धंसान घाटी झील-धंसान घाटी में जब जल जमाव होता है तो इस प्रकार की झील का निर्माण होता है । जैसे-अफ्रीका में विक्टोरिया, रूडोल्फा, न्यासा । भारत में तिलैया बाँध द्वारा कृत्रिम झील बनाया गया
- गोखुर झील-नदियों में जब अवसाद की मात्रा बढ़ जाती है या – भूमि का जल कम जाता हैं । तब उसके मार्ग में विसर्पण कम जाता है। विसर्पण भाग कटकर मुख्यधारा से अलग हो जाता है, जिसका आकार गाय के ‘खुर’ के समान होता है । इसे गोखुर या परिव्यक्त झील भी कहा जाता है । जैसे- बिहार के बेतिया का ‘सरैयामान’ बेगूसराय का ‘कांवर झील’ इनके उदाहरण है।
- लैगून झील-ऐसी झीलें समुद्र तट पर मिलती हैं । जहाँ समुद्र का जल बंदी बन कर रह जाता है । पूर्वी समुद्र तट पर चिलका तथा पुलीकट झीलें हैं।
- अवरोधक झील-पर्वतीय प्रदेशों में भू-स्खलन के कारण चट्टाने गिरकर नदियों के प्रवाह को रोक देते हैं, जिसके कारण झील बन जाती है । इसे अवरोधक झील कहते हैं। जैसे-हिमालय क्षेत्र में गोहना झील ।
- क्रेटर झील-पुराने ज्वालामुखी के मुँह पर बने झील को क्रेटर झील कहते हैं । जैसे- महाराष्ट्र का नोलार झील ।
- हिमानी झील-हिमालय क्षेत्र में हिमानी द्वारा निर्मित झीलों में नैनीताल, भीमताल, सातताल आदि हिमानी झीलें हैं।
- भूगर्भीय क्रिया से निर्मित झील-जम्मू-कश्मीर में ‘वूलर झील’ मीठे पानी का झील है । यह मीठे पानी की भारत में सबसे बड़ी झील है।
मानचित्र कौशल
(क) भारत के मानचित्र पर निम्नलिखित नदियों को चिह्नित कीजिए
तथा उनके नाम लिखिए-
(i) गंगा, (ii) सतलुज, (iii) दामादर, (iv) कृष्णा , (v) नर्मदा, (vi) तापी, (vii) महानदी ।
(ख) भारत के रेखा मानचित्र पर निम्नलिखित झीलों को चिह्नित
कीजिए –
(a) चिल्का, (b) सांभर, (c) वूलर, (d) पुलीकट, (e) कोलेरू ।
उत्तर-
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