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Class 9 Chapter 2 भौतिक स्वरूप : संरचना एवं उच्चावच

VIDYA MANDIR
Class 9 Chapter 2 भौतिक स्वरूप : संरचना एवं उच्चावच 

• परिचय
• मुख्य भौगोलिक वितरण
→ हिमालय पर्वत-श्रृंखला
→ उत्तरी मैदान
→ प्रायद्वीप पठार
→ भारतीय मरूस्थल
→ तटीय मैदान
→ द्वीप समूह
• विविध भौतिक आकृतियाँ भारत के लिए कैसे उपयोगी है?

परिचय

• भारत विभिन्न स्थलाकृतियों वाला एक विशाल देश है जहाँ हर प्रकार की भू-आकृतियाँ पाई जाती हैं जैसे- पर्वत, मैदान, मरूस्थल, पठार तथा द्वीप समूह।

विभिन्न प्रकार की भू-आकृतियाँ कैसे बनीं?

• इन भौतिक आकृतियों के निर्माण के पीछे कुछ सिद्धांत हैं जिनमें से एक सिद्धांत है- प्लेट विवर्तनिक सिद्धांत।

विवर्तनिक सिद्धांत क्या है?

• इस सिद्धांत के अनुसार पृथ्वी की ऊपरी पर्पटी सात बड़ी एवं कुछ प्लेटों से बनी है।

• प्लेटों की गति के कारण प्लेटों के अन्दर एवं ऊपर की ओर स्थित महाद्वीपीय शैलों में दबाव उत्पन्न होता है। इसके परिणामस्वरूप वलन, भ्रंशीकरण तथा ज्वालामुखीय क्रियाएँ होती हैं।

• इन प्लेटों की गतियों को तीन वर्गों में विभाजित किया गया है:
→ अभिसारित परिसीमा- कुछ प्लेटें एक-दूसरे के करीब आती हैं और अभिसारित परिसीमा का निर्माण करती है। जब दो प्लेट एक दुसरे के करीब आती हैं तब या तो वे टकराकर टूट सकती हैं या एक प्लेट फिसलकर दूसरी प्लेट के नीचे जा सकती हैं।
→ अपसारित परिसीमा- जब कुछ प्लेटें एक दुसरे से दूर जाती हैं और अपसारित परिसीमा का निर्माण करती हैं।
→ रूपांतर परिसीमा- कभी-कभी ये प्लेटें एक दूसरे के साथ क्षैतिज दिशा में भी गति कर सकती हैं और रूपांतर परिसीमा का निर्माण करती है।

• इन प्लेटों में हो रही गतियाँ जैसे-अपक्षय, अपरदन और निक्षेपण, में लाखों वर्षों से हो रही गति के कारण महाद्वीपों की स्थिति तथा आकार में परिवर्तन आया है और भारत की वर्तमान स्थलाकृति उच्चावच का विकास भी इसी प्रकार की गतियों से प्रभावित हुआ है।

• सबसे प्राचीन भूभाग (अर्थात् प्रायद्वीप भाग) गोंडवाना भूमि का एक हिस्सा था।

गोंडवाना भूमि क्या है?

गोंडवाना भूभाग के विशाल क्षेत्र में भारत, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका तथा दक्षिण अमेरिका के क्षेत्र शामिल हैं| ये प्राचीन विशाल महाद्वीप पैंजिया का दक्षिणतम भाग है, जिसके उत्तर में अंगारा भूमि है।

हिमालय का निर्माण

• संवहनीय धाराओं ने भू-पर्पटी को अनेक टुकड़ों में विभजित कर दिया।
→ इस प्रकार भारत-ऑस्ट्रेलिया की प्लेट गोंडवाना भूमि से अलग होने के बाद उत्तर दिशा की ओर प्रवाहित होने लगा, परिणामस्वरूप ये प्लेट अपने से अधिक विशाल प्लेट, यूरेशियन प्लेट से टकराई।
→ इस टकराव के कारण इन दोनों प्लेटों के बीच स्थित ‘टेथित’ भू-अभिनति के अवसादी चट्टान, वलित होकर हिमालय तथा पश्चिम एशिया की पर्वतीय श्रृंखला के रूप में विकसित हो गए।

उत्तरी मैदान का निर्माण

• ‘टेथिस’ के हिमालय के रूप में ऊपर उठने तथा प्रायद्वीपीय पठार के उत्तरी किनारे के नीचे धँसने के परिणामस्वरूप एक बहुत बड़ी द्रोणी का निर्माण हुआ।
→ समय के साथ-साथ यह बेसिन उत्तर के पर्वतों एवं दक्षिण के प्रायद्वीपीय पठारों से बहने वाली नदियों के अवसादी निक्षेपों द्वारा धीरे-धीरे भर गया। इस प्रकार जलोढ़ निक्षेपों से निर्मित एक विस्तृत समतल भू-भाग भारत के उत्तरी मैदान के रूप में विकसित हो गया।

• भूगर्भीय तौर पर प्रायद्वीपीय पठार पृथ्वी की सतह का प्राचीनतम भाग है और इसे भूमि का एक बहुत ही स्थिर भाग माना जाता है।
→ हिमालय एवं उत्तरी मैदान हाल ही में बनी स्थलाकृतियाँ हैं।
→ हिमालय पर्वत एक अस्थिर भाग है जो एक युवा स्थलाकृति को दर्शाती है, जिसमें ऊँचे शिखर, गहरी घाटियाँ तथा तेज बहने वाली नदियाँ हैं।

भारत का मुख्य भौगोलिक वितरण

हिमालय पर्वत श्रृंखला

• भारत की उत्तरी सीमा पर विस्तृत हिमालय भूगर्भीय रूप से युवा एवं बनावट के दृष्टिकोण से वलित पर्वत श्रृंखला है।

→ ये पर्वत श्रृंखलाएं पश्चिम-पूर्व दिशा में सिन्धु से लेकर ब्रह्मपुत्र तक फैली हैं जिसकी लम्बाई 2400 कि.मी. है और ये विश्व की सबसे ऊँची पर्वत श्रेणियों का प्रतिनिधित्व करते हैं।

→ इसकी चौड़ाई कश्मीर में 400 कि.मी.एवं अरूणाचल में 150 कि.मी. है। पश्चिम भाग की अपेक्षा पूर्वी भाग की ऊँचाई में अधिक विविधता पाई जाती है।

• हिमालय का देशांतरीय विभाजन :
→ महान या आंतरिक हिमालय या हिमाद्रि
→ निम्न हिमालय या हिमाचल
→ शिवालिक

• महान या आंतरिक हिमालय या हिमाद्रि :
→ यह सबसे उत्तरी भाग में स्थित और सबसे अधिक सतत् श्रृंखला है जिसमें 6,000 मीटर की औसत ऊँचाई वाले सर्वाधिक ऊँचे शिखर हैं।
→ इसमें हिमालय के सभी मुख्य शिखर है। हिमालय के वलय की प्रकृति असंममित है।
→ हिमालय के इस भाग का क्रोड ग्रेनाइट का बना है।
→ यह श्रृंखला हमेशा बर्फ से ढँकी रहती है तथा इससे बहुत-सी हिमानियों का प्रवाह होता है।

• निम्न हिमालय या हिमाचल :
→ हिमाद्रि के दक्षिण में स्थित यह श्रृंखला सबसे अधिक असम है।
→ इन श्रृंखलाओं का निर्माण मुख्यतः अत्यधिक संपीडित तथा परिवर्तित शैलों से हुआ है।
→ इनकी ऊँचाई 3,700 मीटर से 4,500 मीटर के बीच तथा औसत चौड़ाई 50 कि.मी. है।
→ पीर पंजाल श्रृंखला, धौलाधर एवं महाभारत श्रृंखलाएँ सबसे लंबी तथा सबसे महत्वपूर्ण श्रृंखला है।
→ इसी श्रृंखला में कश्मीर की घाटी तथा हिमाचल के कांगड़ा एवं कुल्लू की घाटियाँ स्थित है। इस क्षेत्र को पहाड़ी नगरों के लिए जाना जाता है।

• शिवालिक :
→ हिमालय की सबसे बाहरी श्रृंखला को शिवालिक कहा जाता है।
→ इनकी चौड़ाई 10 से 50 किमी. तथा ऊँचाई 900 से 1,100 मीटर के बीच है।
→ ये श्रृंखलाएँ उत्तर में स्थित मुख्य हिमालय की श्रृंखलाओं से नदियों द्वारा लायी गई असंपीडित अवसादों से बनी है।
→ ये घाटियाँ बजरी तथा जलोढ़ की मोटी परत से ढँकी हुई हैं।

• निम्न हिमालय तथा शिवालिक के बीच में स्थित लम्बवत् घाटी को दून के नाम से जाना जाता है।
→ कुछ प्रसिद्ध दून हैं- देहरादून, कोटलिदून एवं पाटलिदून।

• पश्चिम से पूर्व तक स्थित क्षेत्रों के आधार पर हिमालय का विभाजन :
→ पंजाब हिमालय- सतलुज और सिन्धु के बीच स्थित हिमालय के भाग को पंजाब हिमालय के नाम से जाना जाता है। लेकिन पश्चिम से पूर्व तक क्रमशः इसे कश्मीर तथा हिमाचल हिमालय के नाम से भी जाना जाता है।
→ कुमाँऊ हिमालय- सतलुज तथा काली नदियों के बीच स्थित हिमालय के भाग को कुमाँऊ हिमालय के नाम से जाना जाता है।
→ नेपाल हिमालय- काली व तिस्ता नदियाँ नेपाल हिमालय का निर्माण करती हैं।
→ असम हिमालय- तिस्ता एवं दिहांग नदियाँ असम हिमालय का निर्माण करती हैं।

• पूर्वांचल या पूर्वी पहाड़ियों तथा पर्वत श्रृंखलाएँ :
→ ये पूर्वी भारत की पर्वत श्रृंखलाएँ हैं जिसमे ब्रह्मपुत्र हिमालय की सबसे पूर्वी सीमा बनाती है।
→ दिहांग महाखड्ड के बाद हिमालय दक्षिण की ओर एक तीखा मोड़ बनाते हुए भारत की पूर्वी सीमा के साथ फ़ैल जाता है।
→ ये पहाड़ियाँ उत्तरी-पूर्वी राज्यों से होकर गुजरती हैं, जैसे- अरूणाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा तथा पूर्वी असम तथा मजबूत बलुआ पत्थरों जो अवसादी शैल से हैं, से बनी है।
→ ये घने जंगलों से ढँकी हैं| इसमें पटकाई, नागा, मिज़ो तथा मणिपुर पहाड़ियाँ शामिल हैं।

उत्तरी मैदान

• उत्तरी मैदान तीन प्रमुख नदी प्रणालियों- सिन्धु, गंगा एवं ब्रह्मपुत्र तथा इसकी सहायक नदियों से बना है।

• यह मैदान जलोढ़ मृदा से बना है। लाखों वर्षों में हिमालय के गिरिपाद में स्थित बहुत बड़े बेसिन में जलोढ़ों का निक्षेप हुआ, जिससे इस उपजाऊ मैदान का निर्माण हुआ है।
• इसका विस्तार 7 लाख वर्ग कि.मी. के क्षेत्र पर है तथा लगभग 2,400 कि.मी. लंबा एवं 240 से 320 कि.मी. चौड़ा है।

• यह सघन जनसंख्या वाला भौगोलिक क्षेत्र है। समृद्ध मृदा आवरण, पर्याप्त पनी की उपलब्धता एवं अनुकूल जलवायु के कारण कृषि की दृष्टि से यह भारत का अत्यधिक उत्पादक क्षेत्र है।

• उत्तरी पर्वतों से आने वाली नदियाँ निक्षेपण कार्य में मदद करती हैं।
→ नदी के निचले भागों में ढाल कम होने के कारण नदी की गति कम हो जाती है जिसके परिणामस्वरूप नदीय द्वीपों का निर्माण होता है।

• ये नदियाँ अपने निचले भाग में गाद एकत्र हो जाने के कारण बहुत-सी धाराओं में बँट जाती हैं जिन्हें वितरिकाएँ कहा जाता है।

• उत्तरी मैदान को मोटे तौर पर तीन उपवर्गों में विभाजित किया गया है :
→ पंजाब का मैदान- उत्तरी मैदान के पश्चिम भाग को पंजाब का मैदान कहा जाता है। सिन्धु तथा इसकी सहायक नदियों के द्वारा बनाये गये इस मैदान का बहुत बड़ा भाग पाकिस्तान में स्थित है।
→ गंगा का मैदान- इस मैदान का विस्तार घघ्घर तथा तिस्ता नदियों के बीच है। यह उत्तरी भारत के राज्यों हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, झारखण्ड के कुछ भाग तथा पश्चिम बंगाल में फैला है।
→ ब्रह्मपुत्र का मैदान- यह मैदान गंगा के मैदान के पश्चिम में विशेषकर असम में स्थित है।

• उत्तरी मैदान की भूमि समतल नहीं है। इन विस्तृत मैदानों की भौगोलिक आकृतियों में भी विविधता है।

• आकृतिक भिन्नता के आधार पर उत्तरी मैदानों को चार भागों में भी विभाजित किया जा सकता है –
→ भाबर- नदियाँ पर्वतों से नीचे उतरते समय शिवालिक की ढाल पर 8 से 16 कि.मी. के चौड़ी पट्टी में गुटिका का निक्षेपण करती है जिसे भाबर के नाम से जाना जाता है।
→ तराई- भाबर के दक्षिण में नदियाँ नम एवं दलदली क्षेत्र का निर्माण करती है जिसे तराई कहा जाता है।
→ भांगर- पुराने जलोढ़ से बना उत्तरी मैदान का सबसे विशालतम भाग जो नदियों के बाढ़ वाले मैदान के ऊपर स्थित है, भांगर कहलाता है।
→ खादर- बाढ़ वाले मैदानों के नये तथा युवा निक्षेपों को खादर कहा जाता है।

प्रायद्वीपीय पठार

• प्रायद्वीपीय पठार एक मेज की आकृति वाला स्थल है जो पुराने क्रिस्टलीय, आग्नेय तथा रूपांतरित शैलों से बना है।
• यह गोंडवाना भूमि के टूटने एवं अपवाह के कारण बना था।

• इस पठार के दो मुख्य भाग हैं-
→ मध्य उच्चभूमि
→ दक्कन का पठार

• मध्य उच्चभूमि- नर्मदा नदी के उत्तर में प्रायद्वीपीय पठार का वह भाग जो कि मालवा के पठार के अधिकतर भागों पर फैला है उसे मध्य उच्चभूमि के नाम से जाना जाता है।
→ विंध्य श्रृंखला दक्षिण में मध्य उच्चभूमि तथा उत्तर-पश्चिम में अरावली से घिरी है।
→ पश्चिम में यह धीरे-धीरे राजस्थान के बलुई तथा पथरीले मरूस्थल से मिल जाता है।
→ इस क्षेत्र में बहने वाली नदियाँ हैं- चम्बल, सिंध, बेतवा तथा केन।
→ मध्य उच्चभूमि पश्चिम में चौड़ी लेकिन पूर्व में संकीर्ण है।
→ इस पठार के पूर्वी विस्तार को स्थानीय रूप से बुंदेलखंड तथा बघेलखंड के नाम से जाना जाता है।
→ इसके और पूर्व के विस्तार को दामोदर नदी द्वारा अपवाहित छोटा नागपुर पठार दर्शाता है।

• दक्षिण का पठार- यह एक त्रिभुजाकार भूभाग है, जो नर्मदा नदी के दक्षिण में स्थित है।
→ उत्तर में इसके चौड़े आधार पर सतपुड़ा की श्रृंखला है, जबकि महादेव, कैमूर की पहाड़ी तथा मैकाल श्रृंखला इसके पूर्वी विस्तार हैं।
→ दक्षिण का पठार पश्चिम में ऊँचा एवं पूर्व की ओर कम ढाल वाला है।
• इस पठार का एक भाग उत्तर-पूर्व में भी देखा जाता है जिसे स्थानीय रूप से ‘मेघालय’ तथा ‘कार्बी एन्गलौंग पठार’ के नाम से जाना जाता है।
→ यह एक भ्रंश के द्वारा छोटानागपुर पठार से अलग हो गया है।
→ पश्चिम से पूर्व की ओर तीन महत्वपूर्ण श्रृंखलाएँ गारो, खासी तथा जयंतिया हैं।

• प्रायद्वीपीय पठार की एक विशेषता यहाँ पाई जाने वाली काली मृदा है, जिसे ‘दक्कन ट्रैप’ के नाम से भी जाना जाता है।

• पश्चिमी घाट और पूर्वी घाट दक्षिण पठार के पूर्वी तथा पश्चिमी सिरे पर स्थित है।

पश्चिमी घाट
पूर्वी घाट
दक्षिण पठार के पश्चिमी सिरे पर स्थित है।यह दक्षिण पठार के पूर्वी सिरे पर स्थित है।
वे सतत् हैं तथा उन्हें केवल दर्रों के द्वारा ही पार किया जा सकता है।ये अनियमित हैं एवं बंगाल की खाड़ी में गिरने वाली नदियों ने इनको काट दिया है।
पश्चिमी घाट की ऊँचाई 900 से 1,600 मीटर है।इसकी औसत ऊँचाई पश्चिमी घाट से कम, 600 मीटर है।
पश्चिमी घाट में गर्मियों में पर्वतीय वर्षा होती है।जबकि पूर्वी घाट में ज्यादातर शीत ऋतु में वर्षा होती है।
पश्चिमी घाट की ऊँचाई उत्तर से दक्षिण की ओर बढ़ती जाती है| इस भाग के शिखर सबसे ऊँचे हैं- अनाईमुडी (2,695 मी.) तथा डोडा बेटा (2,633 मी.)।पूर्वी घाट का सबसे ऊँचा शिखर महेंद्रगिरी (1,500 मी.) है।

भारतीय मरूस्थल

• अरावली पहाड़ के पश्चिमी किनारे पर थार का मरूस्थल स्थित है।

• यह बालू के टिब्बों से ढँका एक तरंगित मैदान है।
→ इस क्षेत्र में प्रति वर्ष 150 मि.मी. से भी कम वर्षा होती है।
→ इस शुष्क जलवायु वाले क्षेत्र में वनस्पति बहुत कम है।

• लूनी इस क्षेत्र की सबसे बड़ी नदी है।

• बरकान (अर्धचन्द्राकार बालू का टीला) का विस्तार बहुत अधिक क्षेत्र पर होता है, लेकिन लम्बवत् टीले भारत-पाकिस्तान सीमा के समीप प्रमुखता से पाए जाते हैं।

तटीय मैदान

• प्रायद्वीपीय पठार के किनारों संकीर्ण तटीय पट्टियों का विस्तार है जो पश्चिम में अरब सागर से लेकर पूर्व में बंगाल की खाड़ी तक विस्तृत है।

• इस मैदान के तीन भाग हैं-
→ तट के उत्तरी भाग को कोंकण कहा जाता है (मुंबई तथा गोवा)।
→ मध्य भाग को कन्नड मैदान कहा जाता है।
→ दक्षिणी भाग को मालाबार तट कहा जाता है।

• बंगाल की खाड़ी के साथ विस्तृत मैदान चौड़ा एवं समतल है।
→ उत्तरी भाग में इसे ‘उत्तरी सरकार’ जबकि दक्षिणी भाग कोरोमंडल तट’ के नाम से जाना जाता है।
→ बड़ी नदियाँ, जैसे- गोदावरी, महानदी, कृष्णा तथा कावेरी इस तट पर विशाल तट का निर्माण करती है।
→ चिल्का झील पूर्वी तट पर स्थित एक महत्वपूर्ण भू-लक्षण है।

द्वीप समूह

• केरल के मालाबार तट के पास द्वीपों का समूह लक्षद्वीप स्थित है।
→ द्वीपों का यह समूह छोटे प्रवाल द्वीपों से बना है।
→ पहले इनको लकादीव, मीनीकाय तथा एमीनदीव के नाम से जाना जाता था।
→ यह 32 वर्ग कि.मी. के छोटे से क्षेत्र में फैला है।
→ कावारत्ती द्वीप लक्षद्वीप का प्रशासनिक मुख्यालय है।
→ पिटली द्वीप, जहाँ मनुष्य का निवास नहीं है, वहां एक पक्षी अभयारण्य है।

• अंडमान और निकोबार द्वीप बंगाल की खाड़ी में उत्तर से दक्षिण के तरफ फैले द्वीपों की श्रृंखला है।
→ यह द्वीप समूह आकर में बड़े संख्या में बहुल तथा बिखरे हुए हैं।
→ यह द्वीप समूह मुख्यतः दो भागों में बाँटा गया है- उत्तर में अंडमान तथा दक्षिण में निकोबार।
→ यह द्वीप समूह निमज्जित पर्वत श्रेणियों के शिखर हैं।

विविध भौतिक आकृतियाँ भारत के लिए कैसे उपयोगी है:

→ उत्तरी पर्वत जल एवं वनों के प्रमुख स्रोत हैं।

→ उत्तरी मैदान देश के अन्न भंडार हैं।

→ पठारी भाग खनिजो के भंडार हैं, जिसने देश के औद्योगीकरण में विशेष भूमिका निभाई हैं।

→ तटीय क्षेत्र मत्स्यन और पोत संबंधी क्रिया-कलापों के लिए उपयुक्त स्थान हैं।

ज्ञात कीजिए

1. महान हिमालय में पायी जाने वाली हिमानियों तथा दर्रों के नाम।

उत्तर

• हिमानियों के नाम: गंगोत्री, चतुरंगी, भागीरथी, खरक, सतोपंथ, कामेत, मिलम, पिंडारी
• दर्रों के नाम: खुन्जेराब दर्रा, शिपकी ला, रोहतांग दर्रा, दिहांग दर्रा, बोमाडी ला

2. भारत के उन राज्यों के नाम जहाँ ऊपर दिए गए ऊँचे शिखर स्थित हैं।

उत्तर

• कंचनजुंगा - सिक्किम
• नंगा पर्वत - जम्मू और कश्मीर
• नंदा देवी - उत्तराखंड
• कामेत - उत्तराखंड
• नमचा बड़वा - असम

ज्ञात कीजिए

1. एटलस से मसूरी, नैनीताल, व रानीखेत की स्थिति देखें तथा उन राज्यों के नाम लिखें जहाँ वे स्थित हैं।

उत्तर

• मसूरी - उत्तराखंड
• नैनीताल - उत्तराखंड
• रानीखेत - उत्तराखंड


अभ्यास

1. निम्नलिखित विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए।

(i)  एक स्थलीय भाग जो तीन ओर से समुद्र से घिरा हो-
(क) थट
(ख) प्रायद्वीप
(ग) द्वीप
(घ) इनमें से कोई नहीं
► (ख) प्रायद्वीप

2. भारत के पूर्वी भाग में म्यांमार की सीमा का निर्धारण करने वाले पर्वतों का सयुंक्त नाम-
(क) हिमाचल
(ख) पूर्वांचल
(ग) उत्तराखंड
(घ) इनमें से कोई नहीं
► (ख) पूर्वांचल

3. गोवा के दक्षिण में स्थित पश्चिम तटीय पट्टी-
(क) कोरोमंडल
(ख) कन्नड
(ग) कोंकण
(घ) उत्तरी सरकार
► (ख) कन्नड

4. पूर्वी घाट का सर्वोच्च शिखर-
(क) अनाईमुडी
(ख) महेंद्रगिरि
(ग) कंचनजुंगा
(घ) खासी
► (ख) महेंद्रगिरि

2. निम्नलिखित प्रश्नों संक्षेप में उत्तर दीजिए-

(i) भूगर्भीय प्लेटें क्या हैं?

उत्तर

पृथ्वी के भूपटल का बड़ा हिस्सा जो कि लगातार उभरती धाराओं के कारण विभाजित हो गया है, उन्हें भूगर्भीय प्लेटें कहते हैं।

(ii) आज के कौन से महाद्वीप गोंडवाना लैंड के भाग थे?

उत्तर

साउथ अमेरिका, साउथ अफ्रीका, एशिया का भारतीय उपमहाद्वीप तथा अरब प्रायद्वीप, ऑस्ट्रेलिया और अंटार्कटिका द्वीप गोंडवाना के भाग थे।

(iii) 'भाबर' क्या है?

उत्तर

 भाबर उत्तरी मैदान का संकरा क्षेत्र है जो कि नदी की धाराओं के साथ नीचे लाए गए कंकड़ों और पत्थरों से बना है। यह क्षेत्र शिवालिक की तलहटी से सटा है।

(iv) हिमालय के तीन प्रमुख विभागों के नाम उत्तर से दक्षिण के क्रम में बताइए?

उत्तर

महान या आंतरिक हिमालय या हिमाद्रि, हिमाचल या निम्न हिमालय, बाह्य हिमालय या शिवालिक।

(v) अरावली और विध्यांचल की पहाड़ियों में कौन-सा पठार स्थित है?

उत्तर

मालवा पठार अरावली और विध्यांचल की पहाड़ियों में स्थित है।

(vi) भारत के उन द्वीपों का नाम बताइए प्रवाल भित्ति के हैं।

उत्तर

दीपों का समूह लक्षद्वीप प्रवाल भित्ति का है।

3. निम्नलिखित में अंतर् स्पष्ट कीजिए-

(क) अपसारी और अभिसारी भूगर्भीय प्लेटें
(ख) बांगर और खादर
(ग) पूर्वी घाट और पश्चिमी घाट

उत्तर

(क)
अपसारी भूगर्भीय प्लेट
अभिसारी भूगर्भीय प्लेट
जब प्लेटें एक-दूसरे से दूर जाती हैं तो उन्हें अपसारी भूगर्भीय प्लेटें कहा जाता है। जब प्लेटें एक-दूसरे के करीब आती हैं तो उन्हें अभिसारी भूगर्भीय प्लेटें कहा जाता है।
दूर जाने की स्थिति में प्लेटें एक-दूसरे से टकरातीं या टुकड़ों में नहीं बँटती हैं। दूर जाने की स्थिति में प्लेटें एक-दूसरे से टकरातीं या टुकड़ों में बँट जातीं हैं। 
आपसारी प्लेटों के कारण भूपटल पर दरार पड़ जाता है।अभिसारी प्लेटों के कारण मोड़ पड़ जाता है।

(ख)
भांगर
खादर
यह पुरानी जलोढ़ मिट्टी है जो उत्तरी मैदान के विशालतम भाग को बनाती है।  बाढ़ वाले मैदानों के नए तथा युवा निक्षेप जिनका लगभग प्रत्येक वर्ष पुननिर्माण होता है।
नदियों के बाढ़ वाले मैदान के ऊपर स्थित हैं।नदियों के निचले हिस्से में स्थित हैं।
वेदिका जैसी आकृति प्रदर्शित करते हैं।मृदा में चूनेदार निक्षेप पाए जाते हैं, जिसे स्थानीय भाषा में कंकड़ कहा जाता है। 
कम उपजाऊज्यादा उपजाऊ

(ग)
पश्चिमी घाट
पूर्वी घाट
दक्षिण के पठार के पश्चिमी सिरे पर स्थित है।दक्षिण के पठार के पूर्वी सिरे पर स्थित है।
सतत् है और केवल दर्रों के द्वारा ही पार किया जा सकता है। सतत् नहीं है, अनियमित हैं एवं बंगाल की खाड़ी में गिरने वाली नदियों ने इनको काट दिया है।
पूर्वी घाटी के अपेक्षा ऊँचे हैं, इनकी औसत ऊँचाई 900 से 1600 मीटर है।पश्चिमी घाटी के अपेक्षा छोटे हैं, इनकी औसत ऊँचाई 600 मीटर है।
पश्चिमी घाटी में पर्वतीय वर्षा होती है जो घाट के पश्चिमी ढाल पर आद्र हवा के टकराकर ऊपर उठने के कारण होती है।यह ज्यादातर वर्षा ठंड के मौसम के समय में उत्तर-पूर्वी मानसून द्वारा प्राप्त करती हैं। पश्चिमी घाटी के अपेक्षा यहाँ कम वर्षा होती है।
मिट्टी ज्यादा उपजाऊ होती है।पश्चिमी घाट के अपेक्षा मिट्टी कम उपजाऊ होती है।

4. बताइए हिमालय का निर्माण कैसे हुआ था?

उत्तर
संवहनीय धाराओं ने भू-पर्पटी को अनेक टुकड़ों में विभजित कर दिया। इस प्रकार भारत-ऑस्ट्रेलिया की प्लेट गोंडवाना भूमि से अलग होने के बाद उत्तर दिशा की ओर प्रवाहित होने लगा, परिणामस्वरूप ये प्लेट अपने से अधिक विशाल प्लेट, यूरेशियन प्लेट से टकराई। इस टकराव के कारण इन दोनों प्लेटों के बीच स्थित ‘टेथित’ भू-अभिनति के अवसादी चट्टान, वलित होकर हिमालय तथा पश्चिम एशिया की पर्वतीय श्रृंखला के रूप में विकसित हो गए।

5. भारत के प्रमुख भू-आकृतिक विभाग कौन से हैं? हिमालय क्षेत्र तथा प्रायद्वीप पठार के उच्चावच लक्षणों में क्या अंतर है?

उत्तर

भारत के प्रमुख भू-आकृतिक विभाग हैं-
→ हिमालय पर्वत-श्रृंखला
→ उत्तरी मैदान
→ प्रायद्वीप पठार
→ भारतीय मरूस्थल
→ तटीय मैदान
→ द्वीप समूह

हिमालय क्षेत्र
प्रायद्वीपीय पठार
यह भूगर्भीय रूप से युवा एवं बनावट के दृष्टिकोण से वलित पर्वत श्रृंखला है।इसका निर्माण गोंडवाना भूमि के टूटने के कारण हुआ है जो  पुराने क्रिस्टलीय, आग्नेय तथा रूपांतरित शैलों से बना है।
इस पर्वत श्रृंखला में ऊँचे शिखर, गहरी घाटियाँ तथा तेज बहने वाली नदियाँ हैं।इस पठारी भाग में चौड़ी तथा छिछली घाटियाँ एवं गोलाकार पहाड़ियाँ हैं।
यह क्षेत्र बारहमासी नदियों का उद्गम स्थल है।इस क्षेत्र में वर्षा पर आधारित मौसमी नदियों का उद्भव होता है। 
श्रृंखलाएँ (I) आकार तथा घाटियाँ (u) आकार की होती हैं।इस क्षेत्र में खंडित और दरारों वाली घाटियाँ तथा द्रोण है।
भूगर्भ वैज्ञानिकों के अनुसार हिमालय पर्वत एक अस्थिर भाग है।यह क्षेत्र एक स्थिर भाग माना जाता है।

6. भारत के उत्तरी मैदान का वर्णन कीजिए।

उत्तर

उत्तरी मैदान तीन प्रमुख नदी प्रणालियों- सिन्धु, गंगा एवं ब्रह्मपुत्र तथा इसकी सहायक नदियों से बना है| यह मैदान जलोढ़ मृदा से बना है। लाखों वर्षों में हिमालय के गिरिपाद में स्थित बहुत बड़े बेसिन में जलोढ़ों का निक्षेप हुआ, जिससे इस उपजाऊ मैदान का निर्माण हुआ है। इसका विस्तार 7 लाख वर्ग कि.मी. के क्षेत्र पर है तथा लगभग 2,400 कि.मी. लंबा एवं 240 से 320 कि.मी. चौड़ा है। उत्तरी मैदान को मोटे तौर पर तीन उपवर्गों में विभाजित किया गया है:- पंजाब का मैदान, गंगा का मैदान और ब्रह्मपुत्र का मैदान। उत्तरी मैदान की भूमि समतल नहीं है। इन विस्तृत मैदानों की भौगोलिक आकृतियों में भी विविधता है। आकृतिक भिन्नता के आधार पर उत्तरी मैदानों को चार भागों में भी विभाजित किया जा सकता है – भाबर, तराई, भांगर तथा  खादर।

7. निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणियां लिखें।

(i) मध्य हिमालय - हिमाद्रि के दक्षिण में स्थित यह श्रृंखला सबसे अधिक असम है। इन श्रृंखलाओं का निर्माण मुख्यतः अत्यधिक संपीडित तथा परिवर्तित शैलों से हुआ है। इनकी ऊँचाई 3,700 मीटर से 4,500 मीटर के बीच तथा औसत चौड़ाई 50 कि.मी. है। पीर पंजाल श्रृंखला, धौलाधर एवं महाभारत श्रृंखलाएँ सबसे लंबी तथा सबसे महत्वपूर्ण श्रृंखला है। इसी श्रृंखला में कश्मीर की घाटी तथा हिमाचल के कांगड़ा एवं कुल्लू की घाटियाँ स्थित है| इस क्षेत्र को पहाड़ी नगरों के लिए जाना जाता है।

(ii) मध्य उच्चभूमि- नर्मदा नदी के उत्तर में प्रायद्वीपीय पठार का वह भाग जो कि मालवा के पठार के अधिकतर भागों पर फैला है उसे मध्य उच्चभूमि के नाम से जाना जाता है। विंध्य श्रृंखला दक्षिण में मध्य उच्चभूमि तथा उत्तर-पश्चिम में अरावली से घिरी है। पश्चिम में यह धीरे-धीरे राजस्थान के बलुई तथा पथरीले मरूस्थल से मिल जाता है। इस क्षेत्र में बहने वाली नदियाँ हैं- चम्बल, सिंध, बेतवा तथा केन। मध्य उच्चभूमि पश्चिम में चौड़ी लेकिन पूर्व में संकीर्ण है| इस पठार के पूर्वी विस्तार को स्थानीय रूप से बुंदेलखंड तथा बघेलखंड के नाम से जाना जाता है। इसके और पूर्व के विस्तार को दामोदर नदी द्वारा अपवाहित छोटा नागपुर पठार दर्शाता है।

(iii) भारत के द्वीप समूह- भारत में दो मुख्य द्वीप समूह हैं- लक्षद्वीप तथा अंडमान और निकोबार द्वीप। केरल के मालाबार तट के पास द्वीपों का समूह लक्षद्वीप स्थित है। द्वीपों का यह समूह छोटे प्रवाल द्वीपों से बना है। पहले इनको लकादीव, मीनीकाय तथा एमीनदीव के नाम से जाना जाता था। यह 32 वर्ग कि.मी. के छोटे से क्षेत्र में फैला है। कावारत्ती द्वीप लक्षद्वीप का प्रशासनिक मुख्यालय है। अंडमान और निकोबार द्वीप बंगाल की खाड़ी में उत्तर से दक्षिण के तरफ फैले द्वीपों की श्रृंखला है। यह द्वीप समूह आकर में बड़े संख्या में बहुल तथा बिखरे हुए हैं। यह द्वीप समूह मुख्यतः दो भागों में बाँटा गया है- उत्तर में अंडमान तथा दक्षिण में निकोबार। यह द्वीप समूह निमज्जित पर्वत श्रेणियों के शिखर हैं।

मानचित्र कार्य

8. भारत के रेखा मानचित्र पर निम्नलिखित दिखाइए-
(i) पर्वत शिखर- के-2, कन्चंजुंगा, नंगा पर्वत, अनाईमुडी।
(ii) पठार- शिलांग, छोटानागपुर, मालवा तथा बुन्देलखंड।
(iii) थार मरूस्थल, पश्चिमी घाट, लक्षद्वीप समूह, गंगा-यमुना दोआब तथा कोरोमंडल तट।

उतर


क्रियाकलाप

9. दी गई वर्ग पहेली में कुछ शिखरों, दर्रों, श्रेणियों, पठारों, पहाड़ियाँ तथा घाटियों के नाम छुपे हैं| उन्हें ढूँढिये| ज्ञात कीजिए कि ये आकृतियाँ कहाँ स्थित है? आप अपनी खोज क्षैतिज, उर्ध्वाधर या विकर्णीय दिशा में कर सकते हैं।
नोट: पहेली के उत्तर अंग्रेज़ी शब्दों में है। 


भारत का भौतिक स्वरुप Kriyakalap Question

उत्तर

भारत का भौतिक स्वरुप Kriyakalap Answer


Vertical

CHOTANAGPUR
ARAVALI
KONKAN
JAINTIA
MALWA
NILGIRI
SHIPKILA
VINDHYA
BOMDILA
SAHYADRI
SATPURA

Horizontal

NATHULA
CARDEMOM
GARO
KANCHENJUNGA
ANAIMUDI
EVEREST
PATLI

BSEB Questions and Answers

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

बहुविकल्पीय प्रश्न :

 प्रश्न 1.निम्नलिखित में से कौन-सी चोटी भारत में स्थित नहीं है ?
(क) के’
(ख) कामेट
(ग) माउण्ट ऐवरेस्ट
(घ) नंदा देवी
उत्तर-
(ग) माउण्ट ऐवरेस्ट

प्रश्न 2.बिहार के उत्तर-पश्चिमी किनारे पर हिमालय की कौन-सी श्रेणी है?
(क) महान हिमालय
(ख) शिवालिक
(ग) मध्य हिमालय
(घ) पूर्वी हिमालय
उत्तर-
(ख) शिवालिक

प्रश्न 3.हिमालय के निर्माण में कौन-सा सिद्धांत सर्वमान्य है ?
(क) महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत
(ख) भूमंडलीय गतिशीलता सिद्धांत
(ग) प्लेट विवर्तनिक सिद्धांत
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(ग) प्लेट विवर्तनिक सिद्धांत

प्रश्न 4.सैडल चोटी की ऊँचाई है-

(क) 515 मी०
(ख) 460 मी०
(ग) 642 मी०
(घ) 730 मी०
उत्तर-
(ग) 642 मी०

प्रश्न 5.भारत का सबसे प्राचीन भूखण्ड है

(क) प्रायद्वीपीय पठार
(ख) विशाल मैदान
(ग) उत्तर का पर्वतीय भाग
(घ) तटीय भाग
उत्तर-
(क) प्रायद्वीपीय पठार

लघु उत्तरीय प्रश्न

कक्षा 9 भूगोल अध्याय 2 Question And Answer प्रश्न 1.
हिमालय की तीन समान्तर श्रेणियों का नाम लिखें।
उत्तर-
हिमालय की समान्तर श्रेणियाँ हैं (i) वृहत हिमालय या हिमाद्रि। (ii) लघु हिमालय या मध्य हिमालय। (iii) बाहरी हिमालय या शिवलिक ।

 प्रश्न 2.काराकोरम के सबसे ऊँचे पर्वत शिखर का क्या नाम है ?
उत्तर-
गाडविन आस्टीन तथा गौरीनन्दा पर्वत के नाम से जाना जाता है।

प्रश्न 3.कौन-सा तटीय मैदान अपेक्षाकृत अधिक चौड़ा है ? ।
उत्तर-
पूर्वी, तटीय मैदान, पश्चिमी तटीय मैदान की अपेक्षाकृत अधिक चौड़ाई है। इसकी चौड़ाई 160 से 350 कि०मी० तक है।.

प्रश्न 4.तटीय मैदान में स्थित तीन झीलों के नाम लिखें।
उत्तर-
तटीय मैदान में स्थित झील हैं(i) चिल्का , (ii) पुलीकट, (iii) वेम्बानद।

प्रश्न 5.पश्चिमी घाट पर्वत का दूसरा नाम क्या है ?
उत्तर-
इसे सहयाद्रि की पहाड़ियाँ भी कहते हैं।

प्रश्न 6.मध्यं गंगा के मैदान की चार विशेषताएँ बताएँ।
उत्तर-
मध्य गंगा के मैदान की विशेषताएँ

  • यह मैदान 1400 किलोमीटर लम्बा है।
  • इस मैदान की ढाल सामान्यतः उत्तर-पश्चिम से दक्षिण-पूर्व की ओर है।
  • इसका विस्तार उत्तर भारत के राज्यों यथा-बिहार, उत्तर प्रदेश, तथा पश्चिम बंगाल तक है। .
  • इसका निर्माण जलोढ़ मिट्टी से हुआ है।

 7.हिमालय और प्रायद्वीय पर्वतों के दो प्रमुख अंतर बताएँ।
उत्तर-
दोनों में अंतर इस प्रकार है :

प्रश्न 8.‘खादर’ तथा ‘बांगर’ किसे कहते हैं ?
उत्तर-
खादर : गंगा के मैदान में जहाँ नदियाँ नये कछारी भाग में जो निचले मैदान में है और जहाँ बाढ़ की जल प्रतिवर्ष पहुँचकर नयी मिट्टी की परत जमा कर देता है उसे ‘खादर’ कहते हैं।

बांगर : जहाँ नदियों द्वारा पुरानी मिट्टी के ऊँचे मैंदान बन गए हैं वहाँ नदियों के बाढ़ का जल नहीं पहुँच पाता है, उसे ‘बांगर’ कहते हैं।

प्रश्न 9.
पूर्वी घाट तथा पश्चिमी घाट में अन्तर बताएँ।।
उत्तर-
पूर्वी घाट तथा पश्चिमी घाट में निम्नलिखित अंतर है|

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.उत्तर के विशाल मैदान की विशेषताओं को लिखें।
उत्तर-
उत्तर के विशाल मैदान की विशेषताएँ इस प्रकार हैं :
यह मैदान हिमालय पहाड़ के दक्षिण और दक्षिणी पठार के उत्तर तीन प्रमुख नदी प्रणालियों-गंगा, सिन्धु, ब्रह्मपुत्र और उसकी सहायक नदियों से बना है इसे सिन्धु-गंगा-ब्रह्मपुत्र का मैदान कहते हैं । इस मैदान का निर्माण जलोढ़ मिट्टी से हुआ है। . यह मैदान भारत का ही नहीं बल्कि विश्व का सबसे अधिक उपजाऊ और घनी जनसंख्या वाला मैदान है। . यह मैदान 7 लाख वर्ग किलोमीटर से भी अधिक क्षेत्रफल में फैला है। पश्चिम से पूर्व इसकी लम्बाई लगभग 2400 कि०मी० है और 150 से 500 कि०मी० चौड़ा है। यह मैदान समुद्रतल से 240 मीटर से अधि क ऊँचा नहीं है।

इस मैदान के चार उप-भाग हैं
(i) पंजाब का मैदान
(ii) राजस्थान का मैदान
(iii) गंगा का मैदान
(iv) ब्रह्मपुत्र का मैदान

(i) पंजाब का मैदान-सिन्धु और इसकी सहायक नदियों के द्वारा बना है। पंजाब और हरियाणा का भाग इसमें सम्मिलित है। इस मैदान में झेलम, चेनाव, रावी, व्यास तथा सतलुज नदियाँ बहती हैं। इसकी औसत ऊँचाई 150 से 300 मीटर तक है। इस मैदान को दोआब कहते हैं।

(ii) राजस्थान का मैदान-यह मैदान अरावली पर्वत के पश्चिम में है। यहाँ शुष्क प्रदेश की प्रमुख नदी लूनी है। इसमें संवार, डंगना, दिदवाना तथा कुचापन जैसे खारे पानी के झील है।

(iii) गंगा का मैदान-यह मैदान 1400 कि०मी० लम्बा है । इसका विस्तार उत्तर भारत के राज्यों यथा उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड के कुछ भाग तथा पश्चिम बंगाल तक फैला हुआ है । गंगा के मैदान की प्रमुख नदियाँ गंडक, बूढ़ी गंडक, बागमती, कमला, कोसी तथा महानन्दा है ।

(iv) ब्रह्मपुत्र का मैदान-यह मैदान असम राज्य में सदिया के रनर पूरब से होकर धुवरी स्थान तक फैला है। यह लगभग 650 कि०मी० लम्बा है। इस मैदान में कई ‘भावर’ और ‘तराई’ हैं।

प्रश्न 2.
प्रायद्वीपीय पठार को विभाजित कर किसी एक की चर्चा विस्तार
से करें।
उत्तर-
प्रायद्वीपीय पठार की आकृति त्रिभुजकार है तथा प्राचीन गोंडावाना भूमि का अंश है। इसकी औसत ऊँचाई 600 से 900 मीटर है। इस पठारी भाग के दो प्रमुख भाग हैं- (क) मध्य उच्च भूमि तथा (ख) दक्कन का पठार।

(क) मध्य उच्च भूमि-मध्य उच्च भूमि का अधिकतर भाग मालवा का पठार कहलाता है। यह पठारी भाग पूरब में महादेव श्रृंखला तथा उत्तर-पश्चिम में अरावली और मध्य में विंध्य श्रृंखला से घिरा हुआ है। इसके पश्चिम में राजस्थान का मरूस्थल है। यहाँ बहने वाली नदियों में चंबल, सिंध, बेतवा तथा केन हैं। यह भाग पश्चिम में चौड़ा और पूरब में संकीर्ण है । इसका पूर्वी विस्तार बुन्देलखंड तथा बघेलखंड के नाम से जाना जाता है। इससे दूर पूर्व के विस्तार को मुख्यतः दामोदर और स्वर्णरेखा नदियों द्वारा अपवाहित, छोटा नागपुर का पठार कहा जाता है।

(ख) दक्कन का पठार – छोटानागपुर के पठार का विस्तार गया जिला के दक्षिणी सीमा तक है। इसी भाग में दामोदर, सोन तथा स्वर्णरेखा नदियाँ बहती हैं । इस पठारी भाग का मध्यवर्तीय भाग 1100 मीटर ऊँचा है जो ‘पातक्षेत्र’ कहलाता है। इसके पूरब में राँची का पठार है। इसमें हजारीबाग का पठार है जिसकी ऊँचाई 300 मीटर है। यहाँ पारसानाथ की पहाड़ी 1365 मीटर ऊँची है।

सतपुरा पर्वत के दक्षिण में तापी की घाटी है, इसमें नर्मदा और तापी ‘नदियाँ बहती हैं। अरावली की पहाड़ियाँ दक्षिण-पश्चिम में गुजरात से लेकर उत्तर-पूर्व में दिल्ली तक फैली हैं। अरावली की औसत ऊँचाई 300 से 920 मीटर तक है । लेकिन इसकी प्रसिद्ध चोटी माउन्ट आबू की गुरुशिखर 1722 मीटर ऊंची है।

प्रश्न 3.हिमालय पर्वत श्रृंखला की विशेषताओं का वर्णन करें।
उत्तर-
भारत की उत्तरी सीमा पर फैली हिमालय पर्वत श्रेणी बनावट के दृष्टिकोण से मोड़दार पर्वत श्रृंखला है। इसकी चौड़ाई कश्मीर में 500 कि०मी० एवं अरुणाचल में मात्र 160 कि०मी० है। इसकी तीन समानान्तर श्रृंखलाएँ है : (i) हिमाद्रि (ii) मध्य हिमालय (iii) बाहरी हिमालय।।

  • हिमाद्रि सर्वोच्च श्रेणी है। सबसे उत्तरी श्रेणी भी यही है। यह भारत का सबसे ऊँचा और संसार की दूसरी सबसे ऊँचा शिखर है जिसकी ऊँचाई 8611 मी० है । इसे गाडविन आस्टीन के नाम से जाना जाता है।
  • मध्य हिमालय-यह हिमालय की सबसे अधिक कटी-छंटी श्रृंखला है। इसकी ऊँचाई 1800 मीटर से 4500 मीटर के बीच है।
  • बाहरी हिमालय-यह निचली श्रृंखला है। इसकी औसत ऊँचाई 900 से 15000 मीटर तक है तथा चौड़ाई 10 से 50 कि० मी. है।

इन श्रृंखलाओं की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं-

  • हिमालय भारत का प्रहरी है जलवायविक दशाओं का नियंत्रक है।
  • मानसून पवनों के मार्ग में खड़ा होकर यह उनसे वर्षा करता है। हिमालय न होता तो उत्तरी विशाल मैदान अस्तित्व में न आता ।
  • हिमालय में कई हिम नदियाँ हैं जिनसे गंगा, सिन्धु, ब्रह्मपुत्र, यमुना, कोसी, सरयू, गंडक महानदी, सतलुज, व्यास, झेलम, रावी, चेनाव आदि प्रमुख हैं। नदियाँ सिंचाई के प्रमुख स्रोत हैं।
  • हिमालय पर कई पर्यटन स्थल भी हैं । यथा-कश्मीर की घाटी, शिमला, मसूरी, नैनीताल, दार्जिलिंग आदि ।
  • इस क्षेत्र में कुछ घास के मैदान भी है जिसे कश्मीर में मर्ग कहते हैं। जैसे-गुलमर्ग, खिलनमर्ग और सोनमर्ग।
  • यहाँ की सभी पर्वत श्रेणियाँ घने सदाबहार वनों से ढकी रहती हैं जिससे उपयोगी लकड़ियाँ प्राप्त होती हैं।
  • हिमालय पर हिन्दुओं के अनेक तीर्थ स्थल भी है यथा-केदारनाथ, अमरनाथ, केलास मानसरोवर झील आदि ।

ज्ञात करें

प्रश्न 1.हिमालय में पायी जानेवाली प्रमुख हिमानियाँ एवं दरों के नाम
उत्तर-
हिमालय में पायी जानेवाली प्रमुख हिमानियाँ एवं दरें-



प्रश्न 2.
भारत के उन राज्यों के नाम बताएँ, जहाँ हिमालय के ऊँचे शिखर स्थित हैं।
उत्तर-
Bihar Board Class 9 Geography Solutions Chapter 2 भौतिक स्वरूप संरचना एवं उच्चावच - 5

प्रश्न 3.
मसूरी, नैनीताल एवं रानीखेत की स्थिति बताएँ और राज्यों के नाम लिखें।
उत्तर –

प्रश्न 4.
विश्व का सबसे बड़ा नदीय द्वीप माजोली किस नदी और किस राज्य में है?
उत्तर-
माजोली नदी द्वीप, ब्रह्मपुत्र नदी का द्वीप है जो असम राज्य में है।

प्रश्न 5.
भारत का एकमात्र सक्रिय ज्वालामुखी कहाँ स्थित है ?
उत्तर-
अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के बैरन द्वीप पर स्थित है।

मानचित्र कार्य

भारत के रेखा मानचित्र पर निम्नलिखित को दिखाएँ
(क) (i) पर्वत शिखर-के,
(ii) कंचनजंगा,
(iii) नंगापर्वत,
(iv) नन्दादेवी।

(ख) (i) पठार-छोटानागपुर,
(ii) बुंदेलखंड,
(iii) मालवा ।

(ग) (i) थार मरुस्थल,
(ii) गंगा-यमुना दोआब,
(iii) आरावली पर्वत ।

(घ) (i) पंजाब का मैदान,
(ii) ब्रह्मपुत्र का मैदान ।
उत्तर-