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जल संचयन स्थल (Water Harvesting Site) क्या है?

 

जल संचयन स्थल (Water Harvesting Site) क्या है?

जल संचयन स्थल वह स्थान होता है जहाँ वर्षा जल या सतही जल को इकट्ठा, संरक्षित और उपयोग किया जाता है। यह भूजल स्तर बढ़ाने, जल संकट कम करने और सिंचाई व पेयजल उपलब्ध कराने के लिए महत्वपूर्ण होता है।


जल संचयन स्थलों के प्रकार:

  1. छत वर्षा जल संचयन (Rooftop Rainwater Harvesting) – इमारतों की छतों से पानी एकत्र करके भूमिगत टैंकों में संग्रह किया जाता है।

  2. तालाब और जलाशय (Ponds & Reservoirs) – वर्षा जल को इकट्ठा करके संग्रहण के लिए छोटे या बड़े जलाशय बनाए जाते हैं।

  3. चेक डैम (Check Dams) – छोटे बाँध जो नदी या नाले के प्रवाह को धीमा करके भूजल स्तर को बढ़ाते हैं।

  4. नहरी प्रणाली (Canal Systems) – सिंचाई और जल आपूर्ति के लिए जल का संग्रह और वितरण।

  5. परकोलेशन टैंक (Percolation Tanks) – जल को भूमिगत पुनर्भरण (Recharge) के लिए उपयोग किया जाता है।

  6. कुंआ पुनर्भरण (Recharge Wells) – पुराने या नए कुओं में जल भरकर भूजल स्तर को सुधारने के लिए उपयोग।


उपयुक्त जल संचयन स्थल कैसे चुनें?

जल संचयन स्थल का चयन करने के लिए विभिन्न कारकों को ध्यान में रखा जाता है:

1. स्थल की स्थलाकृति (Topography)

  • समतल या ढलान वाला क्षेत्र होना चाहिए ताकि पानी आसानी से इकट्ठा हो सके।

2. मिट्टी और भूगर्भीय स्थिति (Soil & Geology)

  • पानी को संरक्षित करने के लिए जल-अवशोषण क्षमता वाली मिट्टी (जैसे, चिकनी या बलुई मिट्टी) होनी चाहिए।

  • कठोर चट्टानों वाले स्थान भूजल पुनर्भरण के लिए कम उपयुक्त होते हैं।

3. जल स्रोत (Water Source)

  • प्राकृतिक नाले, नदी, झील या वर्षा जल प्रवाह क्षेत्र के पास होना चाहिए।

4. वर्षा का पैटर्न (Rainfall Pattern)

  • उच्च वर्षा वाले क्षेत्र जल संचयन के लिए अधिक उपयुक्त होते हैं।

5. भूमि उपयोग (Land Use)

  • कृषि, वन और शहरी क्षेत्रों में जल संचयन के लिए अलग-अलग तकनीकों का उपयोग किया जाता है।


GIS आधारित जल संचयन स्थल चयन (GIS-Based Site Selection for Water Harvesting)

भू-स्थानिक तकनीकें (Geospatial Techniques) जैसे GIS (Geographic Information System) और Remote Sensing (RS) का उपयोग करके सही जल संचयन स्थल का चयन किया जा सकता है। इसमें विभिन्न कारकों का विश्लेषण किया जाता है:

  1. डिजिटल एलीवेशन मॉडल (DEM) – स्थलाकृति और जल प्रवाह का विश्लेषण।

  2. सिंचाई और जल उपयोग डेटा – कृषि और अन्य आवश्यकताओं का अध्ययन।

  3. मृदा प्रकार (Soil Type) – जल संचयन क्षमता का आकलन।

  4. वर्षा डेटा (Rainfall Data) – कितनी मात्रा में जल संचयन किया जा सकता है, इसका अनुमान।


जल संचयन स्थलों के लाभ:

भूजल स्तर में वृद्धि
सिंचाई और पेयजल की उपलब्धता में सुधार
बाढ़ और सूखे की समस्या को कम करना
पर्यावरण संरक्षण और जैव विविधता में वृद्धि
कृषि उत्पादकता में सुधार


निष्कर्ष

सही जल संचयन स्थल का चयन करने के लिए स्थलाकृति, मिट्टी, जल स्रोत और वर्षा के पैटर्न को ध्यान में रखना आवश्यक है। GIS और Remote Sensing तकनीकों की मदद से जल संचयन स्थलों का वैज्ञानिक चयन किया जा सकता है, जिससे जल संसाधनों का बेहतर उपयोग संभव होता है।