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प्लेट टेक्टोनिक्स पर विस्तृत नोट्स

 

प्लेट टेक्टोनिक्स पर विस्तृत नोट्स

प्लेट टेक्टोनिक्स का सिद्धांत (Plate Tectonics Theory) पृथ्वी की संरचना और सतह पर होने वाले भूगर्भीय घटनाओं को समझाने का एक प्रमुख सिद्धांत है। इसे 20वीं शताब्दी में विकसित किया गया और इसे आधुनिक भूविज्ञान का आधार माना जाता है। यह सिद्धांत इस बात की व्याख्या करता है कि पृथ्वी की बाहरी परत (क्रस्ट) विभिन्न प्लेटों में विभाजित है, जो लगातार हिलती और गतिशील रहती हैं।

प्लेट टेक्टोनिक्स का परिचय

प्लेट टेक्टोनिक्स का मतलब है कि पृथ्वी की सतह ठोस चट्टानों की बड़ी-बड़ी प्लेटों में विभाजित है। ये प्लेटें पृथ्वी के अंदर स्थित अर्ध-तरल मेंटल (Mantle) पर तैरती हैं। ये प्लेटें आपस में टकराती हैं, एक-दूसरे से दूर होती हैं, या एक-दूसरे के समानांतर खिसकती हैं।


प्लेट टेक्टोनिक्स का सिद्धांत

प्लेट टेक्टोनिक्स का सिद्धांत अल्फ्रेड वेगेनर (Alfred Wegener) के महाद्वीपीय प्रवाह (Continental Drift) के सिद्धांत और सागर तल प्रसार (Seafloor Spreading) के सिद्धांत पर आधारित है।

  1. महाद्वीपीय प्रवाह सिद्धांत (Continental Drift Theory)
    अल्फ्रेड वेगेनर ने 1912 में यह प्रस्तावित किया कि पृथ्वी के सभी महाद्वीप पहले एक ही बड़े महाद्वीप (पैंजिया) का हिस्सा थे, जो समय के साथ अलग-अलग हिस्सों में विभाजित हो गए और अपनी वर्तमान स्थिति में आ गए।

  2. सागर तल प्रसार सिद्धांत (Seafloor Spreading Theory)
    इस सिद्धांत के अनुसार, समुद्र के तल पर नयी चट्टानों का निर्माण हो रहा है, जब मैग्मा (लावा) मिड-ओशियन रिड्ज़ (Mid-Ocean Ridges) से बाहर आता है। यह प्रक्रिया समुद्र तल के विस्तार का कारण बनती है।


प्लेटों के प्रकार

पृथ्वी की प्लेटें दो प्रकार की होती हैं:

  1. महाद्वीपीय प्लेटें (Continental Plates):
    ये प्लेटें मुख्यतः हल्की चट्टानों (जैसे ग्रेनाइट) से बनी होती हैं और इन पर महाद्वीप स्थित होते हैं।

  2. महासागरीय प्लेटें (Oceanic Plates):
    ये प्लेटें भारी चट्टानों (जैसे बेसाल्ट) से बनी होती हैं और महासागरों के नीचे स्थित होती हैं।


प्लेटों के बीच गतियों के प्रकार

  1. विसरण सीमाएँ (Divergent Boundaries):
    जब दो प्लेटें एक-दूसरे से दूर होती हैं, तो इस प्रक्रिया को विसरण सीमा कहते हैं। यह मिड-ओशियन रिड्ज़ पर देखा जाता है।

  2. संवहन सीमाएँ (Convergent Boundaries):
    जब दो प्लेटें एक-दूसरे की ओर बढ़ती हैं और टकराती हैं, तो यह सीमा बनती है। इसका परिणाम पर्वत निर्माण (जैसे हिमालय) या सबडक्शन जोन (Subduction Zone) हो सकता है।

  3. स्थानांतर सीमाएँ (Transform Boundaries):
    जब दो प्लेटें एक-दूसरे के समानांतर खिसकती हैं, तो यह सीमा बनती है। इसका परिणाम भूकंप होता है, जैसे कैलिफ़ोर्निया का सैन एंड्रियास फॉल्ट।


प्लेट टेक्टोनिक्स से होने वाली घटनाएँ

  1. भूकंप (Earthquakes):
    प्लेटों के बीच घर्षण या टकराव के कारण भूकंप उत्पन्न होता है।

  2. ज्वालामुखी (Volcanoes):
    जब मैग्मा पृथ्वी की सतह पर आता है, तो ज्वालामुखी का निर्माण होता है।

  3. पर्वत निर्माण (Mountain Formation):
    प्लेटों के टकराने से पर्वत श्रृंखलाएँ बनती हैं, जैसे हिमालय।

  4. समुद्रों का निर्माण और विनाश:
    प्लेटों की गति से नए महासागर बन सकते हैं और पुराने महासागर समाप्त हो सकते हैं।


प्लेट टेक्टोनिक्स का महत्त्व

  1. पृथ्वी की भूगर्भीय संरचना को समझना:
    प्लेट टेक्टोनिक्स पृथ्वी की सतह पर होने वाले बदलावों को समझने में मदद करता है।

  2. प्राकृतिक आपदाओं की समझ:
    इस सिद्धांत से भूकंप, ज्वालामुखी, और सुनामी जैसी घटनाओं के कारणों को समझा जा सकता है।

  3. खनिज संसाधन:
    प्लेटों की गति के कारण खनिजों का निर्माण और उनका वितरण होता है।


निष्कर्ष

प्लेट टेक्टोनिक्स सिद्धांत हमें यह समझने में मदद करता है कि पृथ्वी लगातार बदल रही है। यह पृथ्वी की सतह पर मौजूद विभिन्न भूगर्भीय संरचनाओं और घटनाओं को वैज्ञानिक रूप से स्पष्ट करता है।