कार्टोग्राम (Cartogram)
कार्टोग्राम एक प्रकार का थीमैटिक मानचित्र (Thematic Map) होता है, जिसमें भौगोलिक क्षेत्रों (जैसे देश, राज्य, जिले) का आकार और आकृति वास्तविक भू-आकृति के आधार पर नहीं, बल्कि किसी सांख्यिकीय या मात्रात्मक आँकड़े (Population, GDP, उत्पादन, वोट आदि) के आधार पर दिखाया जाता है।
👉 सरल शब्दों में – कार्टोग्राम में क्षेत्रों का आकार (Size) उस विशेष आँकड़े के अनुसार छोटा या बड़ा कर दिया जाता है।
प्रकार (Types of Cartogram)
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कॉन्टिग्युअस कार्टोग्राम (Contiguous Cartogram)
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इसमें क्षेत्रों का आकार आँकड़ों के अनुसार बदलता है, परंतु क्षेत्र आपस में जुड़े रहते हैं।
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जैसे – जनसंख्या के आधार पर भारत के राज्यों का नक्शा, जहाँ उत्तर प्रदेश सबसे बड़ा दिखेगा।
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नॉन-कॉन्टिग्युअस कार्टोग्राम (Non-contiguous Cartogram)
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इसमें क्षेत्रों को आँकड़ों के अनुसार बढ़ाया/घटाया जाता है, परंतु वे मूल स्थिति से अलग-अलग हो सकते हैं।
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डोरलिंग कार्टोग्राम (Dorling Cartogram)
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इसमें क्षेत्रों को असली आकृति में न दिखाकर वृत्त (Circles) या अन्य ज्यामितीय आकृतियों से दिखाया जाता है, जिनका आकार आँकड़ों पर आधारित होता है।
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विशेषताएँ (Features)
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वास्तविक भूगोलिक क्षेत्रफल के बजाय आँकड़ों पर आधारित।
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आँकड़ों की तुलना को आसान और प्रभावी बनाता है।
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जनसंख्या, संसाधन, अर्थव्यवस्था, चुनाव परिणाम आदि दर्शाने में उपयोगी।
उदाहरण
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भारत की जनसंख्या कार्टोग्राम – उत्तर प्रदेश सबसे बड़ा दिखेगा क्योंकि इसकी जनसंख्या सबसे अधिक है।
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विश्व GDP कार्टोग्राम – अमेरिका और चीन बड़े दिखेंगे क्योंकि उनका GDP सबसे अधिक है।
Spherical Diagram (गोलकाकार आरेख)
Spherical Diagram (गोलकाकार आरेख) को हिंदी में अक्सर गोला आरेख कहा जाता है।
यह एक प्रकार का त्रि-आयामी (3D) आरेख है, जिसमें आँकड़ों को गोले (Sphere) के आयतन (Volume) के आधार पर दिखाया जाता है।
विशेषताएँ (Features)
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2D वृत्त की जगह 3D गोला प्रयोग होता है।
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किसी मात्रा (जैसे जनसंख्या, उत्पादन, क्षेत्रफल आदि) को गोले के आयतन (Volume = 4/3 π r³) के अनुसार दर्शाया जाता है।
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बड़ा आँकड़ा = बड़ा गोला, छोटा आँकड़ा = छोटा गोला।
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यह तुलना (Comparison) के लिए अधिक प्रभावी होता है।
उदाहरण
मान लीजिए हमें तीन राज्यों की जनसंख्या को गोलक आरेख से दिखाना है:
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उत्तर प्रदेश = 23 करोड़
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महाराष्ट्र = 12 करोड़
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बिहार = 12 करोड़
👉 तो उत्तर प्रदेश का गोला सबसे बड़ा बनेगा, जबकि महाराष्ट्र और बिहार लगभग समान आकार के गोले होंगे।
Hythergraph (हाइथरग्राफ)
हाइथरग्राफ एक प्रकार का जलवायु आरेख (Climate Graph) है, जिसमें किसी स्थान के औसत तापमान (Average Temperature) और औसत वर्षा (Average Rainfall) को एक साथ प्रदर्शित किया जाता है।
विशेषताएँ (Features of Hythergraph)
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X-अक्ष (Horizontal axis) → औसत तापमान (°C) को दर्शाता है।
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Y-अक्ष (Vertical axis) → औसत वर्षा (mm) को दर्शाता है।
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प्रत्येक माह (जनवरी से दिसम्बर तक) को तापमान और वर्षा के आँकड़े के अनुसार बिन्दु (Points) के रूप में प्लॉट किया जाता है।
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इन बिन्दुओं को आपस में मिलाने पर एक आकृति बनती है, जो उस स्थान की जलवायु स्थिति (Climate condition) को दर्शाती है।
उपयोग (Uses)
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विभिन्न स्थानों की जलवायु का आपस में तुलनात्मक अध्ययन।
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तापमान और वर्षा के बीच संबंध का अध्ययन।
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कृषि, पारिस्थितिकी और भूगोल अनुसंधान में सहायक।
उदाहरण
अगर किसी स्थान के जनवरी माह में औसत तापमान 20°C और वर्षा 50 mm है, तो (20, 50) बिन्दु बनाया जाएगा। इसी प्रकार सभी महीनों के बिन्दु जोड़कर पूरा Hythergraph तैयार होता है।
क्लाइमोग्राफ (Climograph)
क्लाइमोग्राफ एक ऐसा संयुक्त जलवायु आरेख (Combined Climate Graph) है, जिसमें किसी स्थान के औसत तापमान (Average Temperature) और औसत वर्षा (Average Rainfall) को एक ही ग्राफ पर दर्शाया जाता है।
विशेषताएँ (Features)
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X-अक्ष (Horizontal Axis) → महीनों के नाम (जनवरी से दिसम्बर तक)।
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Y-अक्ष (Left Vertical Axis) → वर्षा (Rainfall in mm), इसे Bar Graph (स्तम्भ आरेख) से दिखाया जाता है।
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Y-अक्ष (Right Vertical Axis) → तापमान (Temperature in °C), इसे Line Graph (रेखीय आरेख) से दिखाया जाता है।
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इस प्रकार एक ही ग्राफ पर तापमान और वर्षा दोनों की जानकारी मिल जाती है।
उपयोग (Uses of Climograph)
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किसी स्थान की जलवायु विशेषताओं को समझने के लिए।
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विभिन्न स्थानों की जलवायु तुलना के लिए।
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कृषि, मौसम विज्ञान (Meteorology), पर्यावरण अध्ययन और भूगोल अनुसंधान में सहायक।
उदाहरण
अगर किसी स्थान की –
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जनवरी में तापमान 15°C और वर्षा 30 mm है
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जुलाई में तापमान 30°C और वर्षा 200 mm है
👉 तो जनवरी में 30 mm का स्तम्भ और 15°C पर एक बिन्दु बनेगा।
👉 जुलाई में 200 mm का स्तम्भ और 30°C पर एक बिन्दु बनेगा।
👉 महीनों के लिए यही प्रक्रिया कर एक पूरा क्लाइमोग्राफ बनता है।
🌬️ विंड रोज़ (Wind Rose)
विंड रोज़ एक विशेष प्रकार का आरेख (Diagram) है, जिसमें किसी स्थान पर पवन की दिशा और आवृत्ति (Direction & Frequency of Winds) को दर्शाया जाता है।
⚙️ विशेषताएँ (Features)
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केन्द्र (Centre) से निकलने वाली रेखाएँ मुख्य दिशाओं (उत्तर, दक्षिण, पूर्व, पश्चिम) और उप-दिशाओं (NE, NW, SE, SW) को दर्शाती हैं।
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प्रत्येक दिशा में खींची गई रेखा की लंबाई उस दिशा से आने वाली हवाओं की आवृत्ति या प्रतिशत (%) को दर्शाती है।
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कभी-कभी हवाओं की गति (Speed) भी अलग-अलग रंगों या मोटाई से दिखाई जाती है।
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इसका आकार एक फूल / गुलाब (Rose) जैसा होता है, इसलिए इसे Wind Rose कहते हैं।
📌 उपयोग (Uses of Wind Rose)
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किसी स्थान की प्रमुख पवन दिशा (Prevailing Wind Direction) जानने के लिए।
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मौसम विज्ञान (Meteorology) और जलवायु अध्ययन (Climatology) में।
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हवाई अड्डों (Airports), समुद्री बंदरगाहों (Seaports) और औद्योगिक क्षेत्रों की योजना बनाने में।
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प्रदूषण फैलाव (Pollution Dispersion) के अध्ययन में।
📝 उदाहरण
मान लीजिए किसी शहर में –
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40% हवा पश्चिम से आती है,
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30% दक्षिण से,
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20% उत्तर से,
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10% पूर्व से।
👉 तो विंड रोज़ आरेख में पश्चिम दिशा की रेखा सबसे लंबी बनेगी।
⭐ स्टार डायग्राम (Star Diagram)
स्टार डायग्राम एक सांख्यिकीय आरेख (Statistical Diagram) है, जिसमें किसी वस्तु या स्थान की एकाधिक विशेषताओं (Multiple Characteristics) को एक साथ तारा जैसी आकृति बनाकर दर्शाया जाता है।
⚙️ विशेषताएँ (Features)
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इसमें केन्द्र से कई रेखाएँ (Rays/Axes) निकाली जाती हैं।
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प्रत्येक रेखा किसी चर (Variable/Attribute) को दर्शाती है।
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जैसे : जनसंख्या, साक्षरता, रोजगार, कृषि उत्पादन, उद्योग आदि।
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प्रत्येक रेखा पर संबंधित आँकड़े के अनुसार बिन्दु लगाया जाता है।
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जब इन बिन्दुओं को जोड़ा जाता है तो एक बहुभुज (Polygon) या तारा (Star) जैसी आकृति बनती है।
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जिस दिशा की रेखा लंबी होगी, उस गुण का मान उतना ही अधिक होगा।
📌 उपयोग (Uses of Star Diagram)
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किसी शहर / राज्य / देश की सामाजिक-आर्थिक विशेषताओं की तुलना।
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विभिन्न क्षेत्रों की जनसांख्यिकीय और आर्थिक स्थिति का अध्ययन।
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सांख्यिकीय जानकारी को सरल और रोचक तरीके से प्रदर्शित करना।
📝 उदाहरण
मान लीजिए किसी जिले के लिए 5 आँकड़े दिए गए हैं –
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जनसंख्या वृद्धि : 80
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साक्षरता : 70
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उद्योग : 50
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कृषि : 90
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परिवहन : 60
👉 इन्हें केन्द्र से पाँच दिशाओं में प्लॉट कर जोड़ दिया जाए तो Star Diagram बन जाएगा।
📍 आइसोप्लेस विधि (Isopleth Method)
यह एक भौगोलिक मानचित्रण तकनीक (Cartographic Method) है, जिसका उपयोग किसी सतत (Continuous) आँकड़े जैसे – तापमान, वर्षा, ऊँचाई, घनत्व आदि को मानचित्र पर दिखाने के लिए किया जाता है।
⚙️ विशेषताएँ (Features)
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इसमें समान मान वाले बिन्दुओं (Equal Value Points) को जोड़कर रेखाएँ खींची जाती हैं।
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इन रेखाओं को Isopleths (सममान रेखाएँ) कहा जाता है।
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प्रत्येक रेखा एक निश्चित मान को दर्शाती है।
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जैसे : 10°C, 20°C, 30°C तापमान की रेखाएँ।
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रेखाओं के बीच के अंतराल से आँकड़ों का ढाल (Gradient) और भिन्नता पता चलता है।
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यह तकनीक मुख्य रूप से जलवायु विज्ञान, स्थलाकृति, और जनसंख्या अध्ययन में उपयोग होती है।
📝 उदाहरण (Examples of Isopleths)
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Isotherms (आइसोथर्म्स) → समान तापमान को जोड़ने वाली रेखाएँ।
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Isohyets (आइसोहायट्स) → समान वर्षा को जोड़ने वाली रेखाएँ।
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Isobars (आइसोबार्स) → समान वायुदाब को जोड़ने वाली रेखाएँ।
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Contours (कॉन्टूर रेखाएँ) → समान ऊँचाई को जोड़ने वाली रेखाएँ।
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Isodapanes → समान परिवहन लागत को जोड़ने वाली रेखाएँ।
📌 उपयोग (Uses of Isopleth Method)
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जलवायु अध्ययन (Climate Studies)।
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स्थलाकृति और ऊँचाई (Relief Mapping)।
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जनसंख्या घनत्व और आर्थिक गतिविधियों का वितरण।
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कृषि और संसाधन योजना।
👉 सरल शब्दों में कहें तो Isopleth Method वह विधि है जिसमें मानचित्र पर समान मान वाले बिन्दुओं को जोड़कर रेखाएँ बनाई जाती हैं, और इनसे किसी भौगोलिक घटना का वितरण दर्शाया जाता है।
🗺️ कोरोप्लेस विधि (Choropleth Method)
यह एक थीमैटिक मानचित्रण (Thematic Mapping) की तकनीक है, जिसमें क्षेत्रों (Areas) को किसी आँकड़े के आधार पर अलग-अलग रंगों (Colours), छायाओं (Shadings) या पैटर्न्स से भरा जाता है।
⚙️ विशेषताएँ (Features)
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इसमें राज्य, जिला, प्रखंड, देश आदि को आधार इकाई (Unit) माना जाता है।
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प्रत्येक इकाई को किसी आँकड़े (Population Density, Rainfall, Literacy Rate, GDP आदि) के आधार पर रंग दिया जाता है।
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सामान्यतः आँकड़ों को वर्गों (Classes) में बाँटकर प्रत्येक वर्ग को अलग रंग/छाया दी जाती है।
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जैसे : जनसंख्या घनत्व 0–100 = हल्का नीला
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100–300 = गहरा नीला
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300 से अधिक = गहरा काला
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इसका रूप देखने में एक रंगीला मानचित्र (Coloured Map) जैसा होता है।
📝 उदाहरण (Example)
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भारत का जनसंख्या घनत्व मानचित्र :
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बिहार और पश्चिम बंगाल गहरे रंग में (क्योंकि घनत्व अधिक)।
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अरुणाचल प्रदेश हल्के रंग में (क्योंकि घनत्व कम)।
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भारत का साक्षरता दर मानचित्र :
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केरल गहरे हरे रंग में (उच्च साक्षरता)।
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बिहार हल्के रंग में (निम्न साक्षरता)।
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📌 उपयोग (Uses)
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जनसंख्या और सामाजिक आँकड़ों के प्रदर्शन में।
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आर्थिक आँकड़ों जैसे GDP, उद्योग, कृषि उत्पादन।
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प्राकृतिक आँकड़ों जैसे वर्षा, तापमान, भूमि उपयोग।
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विभिन्न क्षेत्रों के बीच तुलना (Comparison) को सरल और दृष्टिगोचर बनाना।
👉 सरल शब्दों में कहें तो Choropleth Map वह होता है, जिसमें क्षेत्रों को आँकड़ों के आधार पर रंग या छायाओं से भरा जाता है।
👥 आयु और लिंग पिरामिड (Age and Sex Pyramid)
यह एक ग्राफिक प्रस्तुति (Graphical Representation) है, जिसमें किसी देश/क्षेत्र की जनसंख्या संरचना (Population Structure) को आयु (Age) और लिंग (Sex) के आधार पर दिखाया जाता है। इसे Population Pyramid (जनसंख्या पिरामिड) भी कहते हैं।
⚙️ संरचना (Structure)
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यह आयताकार स्तम्भों (Horizontal Bars) से बना होता है।
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X-अक्ष (Horizontal Axis) → जनसंख्या प्रतिशत (%) या संख्या।
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Y-अक्ष (Vertical Axis) → आयु वर्ग (Age Groups, जैसे 0–4, 5–9, 10–14 …)।
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बाएँ भाग → पुरुष (Males)।
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दाएँ भाग → स्त्रियाँ (Females)।
📌 प्रकार (Types of Population Pyramid)
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विस्तृत आधार वाला (Expansive Pyramid)
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निचला हिस्सा चौड़ा, ऊपरी हिस्सा पतला।
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अधिक जन्म दर और मृत्यु दर वाले देश (जैसे : विकासशील देश – भारत, नाइजीरिया)।
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घंटा आकार वाला (Stationary Pyramid)
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लगभग सीधी दीवारें।
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जन्म दर और मृत्यु दर स्थिर।
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विकसित देश (जैसे : अमेरिका, फ्रांस)।
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ऊपर से चौड़ा (Contractive Pyramid)
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ऊपर का हिस्सा चौड़ा, नीचे का हिस्सा संकरा।
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जन्म दर कम, वृद्धजन अधिक।
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उच्च विकसित देश (जैसे : जापान, जर्मनी)।
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📝 उपयोग (Uses)
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किसी देश/क्षेत्र की जनसंख्या संरचना समझने के लिए।
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निर्भर जनसंख्या (Dependent Population) का आकलन करने में।
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भविष्य की जनसंख्या प्रवृत्ति (Future Trends) का अध्ययन।
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आर्थिक योजना (Economic Planning), शिक्षा, रोजगार और स्वास्थ्य नीति बनाने में सहायक।
👉 सरल शब्दों में कहें तो Age-Sex Pyramid हमें यह बताती है कि किसी देश की जनसंख्या में कितने पुरुष और स्त्रियाँ किस आयु वर्ग में हैं, और भविष्य में जनसंख्या का स्वरूप कैसा होगा।

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