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पारिस्थितिकी तंत्र (Ecosystem)

 

पारिस्थितिकी तंत्र (Ecosystem) 


पारिस्थितिकी तंत्र (Ecosystem) एक जैविक समुदाय और उसके भौतिक वातावरण के बीच होने वाले परस्पर क्रियाओं का एक समग्र तंत्र है। इसमें जीव और अजैविक घटक मिलकर एक परस्पर निर्भर इकाई बनाते हैं। पारिस्थितिकी तंत्र की संरचना और कार्यवाही जैविक (Biotic) और अजैविक (Abiotic) घटकों के बीच होने वाली ऊर्जा और पोषक तत्वों के प्रवाह पर आधारित होती है।

पारिस्थितिकी तंत्र के घटक

  1. जैविक घटक (Biotic Components): ये जीवित घटक होते हैं, जिन्हें तीन श्रेणियों में बाँटा जाता है:

    • उत्पादक (Producers): ये वे जीव होते हैं जो प्रकाश संश्लेषण के माध्यम से सूर्य की ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा में परिवर्तित करते हैं, जैसे कि हरे पौधे, शैवाल, और कुछ बैक्टीरिया।
    • उपभोक्ता (Consumers): ये जीव दूसरे जीवों पर निर्भर होते हैं। इन्हें तीन श्रेणियों में विभाजित किया जाता है:
      • प्राथमिक उपभोक्ता (Primary Consumers): शाकाहारी जीव जो सीधे उत्पादकों का उपभोग करते हैं, जैसे गाय, हिरण।
      • माध्यमिक उपभोक्ता (Secondary Consumers): मांसाहारी जीव जो प्राथमिक उपभोक्ताओं का शिकार करते हैं, जैसे बाघ, लोमड़ी।
      • तृतीयक उपभोक्ता (Tertiary Consumers): शीर्ष पर रहने वाले मांसाहारी जो माध्यमिक उपभोक्ताओं का शिकार करते हैं, जैसे शेर, बाज़।
    • अपघटक (Decomposers): ये सूक्ष्मजीव होते हैं, जैसे बैक्टीरिया और कवक, जो मृत पौधों और जानवरों के अवशेषों को विघटित करते हैं और उन्हें पोषक तत्वों में बदलते हैं, जिन्हें उत्पादक पुनः उपयोग कर सकते हैं।
  2. अजैविक घटक (Abiotic Components): ये निर्जीव घटक होते हैं जो जीवों को प्रभावित करते हैं और उनके पर्यावरण को निर्धारित करते हैं। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं:

    • भौतिक कारक (Physical Factors): सूर्य का प्रकाश, तापमान, जल, वायु, और मृदा।
    • रासायनिक कारक (Chemical Factors): पोषक तत्व, जैसे कि कार्बन, नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, और जल में घुले लवण।

पारिस्थितिकी तंत्र के प्रकार

पारिस्थितिकी तंत्र को उसके भौगोलिक और पर्यावरणीय विशेषताओं के आधार पर दो मुख्य श्रेणियों में बाँटा जाता है:

  1. स्थलीय पारिस्थितिकी तंत्र (Terrestrial Ecosystems): ये पारिस्थितिकी तंत्र भूमि पर स्थित होते हैं और इनमें कई उप-प्रकार होते हैं:

    • वन पारिस्थितिकी तंत्र (Forest Ecosystem): इसमें पेड़, झाड़ियाँ, घास, और अन्य वनस्पतियाँ शामिल होती हैं। उदाहरण: उष्णकटिबंधीय वर्षा वन, शीतोष्ण वन।
    • घासस्थली पारिस्थितिकी तंत्र (Grassland Ecosystem): इसमें मुख्यतः घास उगती है और यहाँ वृक्षों की कमी होती है। उदाहरण: सवाना, प्रेयरी।
    • मरुस्थली पारिस्थितिकी तंत्र (Desert Ecosystem): यहाँ पानी की कमी होती है और वनस्पति बहुत कम होती है। यहाँ के जीव पानी के बिना जीवित रहने के लिए विशेष रूप से अनुकूलित होते हैं।
    • टुंड्रा पारिस्थितिकी तंत्र (Tundra Ecosystem): यह अत्यधिक ठंडा क्षेत्र होता है जहाँ वनस्पति सीमित होती है और अधिकांश वर्ष बर्फ से ढका रहता है।
  2. जलीय पारिस्थितिकी तंत्र (Aquatic Ecosystems): ये जल में स्थित होते हैं और इनमें दो उप-प्रकार होते हैं:

    • मीठे पानी का पारिस्थितिकी तंत्र (Freshwater Ecosystem): इसमें नदियाँ, झीलें, तालाब, और धाराएँ शामिल होती हैं। ये पारिस्थितिकी तंत्र कम लवणता वाले होते हैं।
    • समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र (Marine Ecosystem): इसमें महासागर, समुद्र, और प्रवाल भित्तियाँ शामिल होती हैं। यहाँ की लवणता अधिक होती है और ये जैव विविधता के लिए महत्वपूर्ण होते हैं।

ऊर्जा प्रवाह (Energy Flow)

पारिस्थितिकी तंत्र में ऊर्जा का प्रवाह एक दिशा में होता है, यानी ऊर्जा सूर्य से शुरू होकर उत्पादकों, उपभोक्ताओं और अंत में अपघटकों तक पहुँचती है। इसे ऊर्जा पिरामिड के माध्यम से समझाया जा सकता है, जिसमें उत्पादक सबसे निचले स्तर पर होते हैं और प्रत्येक उच्च स्तर पर ऊर्जा का कम से कम 10% भाग ही उपलब्ध रहता है।

पोषक तत्व चक्र (Nutrient Cycles)

पारिस्थितिकी तंत्र में विभिन्न रासायनिक तत्वों और पोषक तत्वों का चक्र महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मुख्य पोषक चक्र निम्नलिखित हैं:

  1. कार्बन चक्र (Carbon Cycle): यह चक्र जीवों और वातावरण के बीच कार्बन के संचरण को नियंत्रित करता है। कार्बन डाइऑक्साइड का अवशोषण पौधों द्वारा प्रकाश संश्लेषण के माध्यम से होता है और यह श्वसन, अपघटन, और ज्वालामुखी विस्फोटों के माध्यम से वातावरण में लौटता है।
  2. नाइट्रोजन चक्र (Nitrogen Cycle): यह चक्र नाइट्रोजन के विभिन्न रूपों के बीच संचरण को नियंत्रित करता है, जैसे कि नाइट्रोजन गैस से अमोनिया, नाइट्राइट और नाइट्रेट में परिवर्तित होना और फिर पौधों द्वारा इसका उपयोग।
  3. जल चक्र (Water Cycle): यह जल के विभिन्न अवस्थाओं में संचरण को नियंत्रित करता है। यह वाष्पीकरण, संघनन, और वर्षा के रूप में संचालित होता है।

पारिस्थितिकी तंत्र का संतुलन (Ecosystem Stability)

पारिस्थितिकी तंत्र में संतुलन बनाए रखने के लिए जैविक और अजैविक घटकों के बीच सामंजस्य आवश्यक होता है। इस संतुलन को बनाए रखने में जैव विविधता, ऊर्जा प्रवाह, और पोषक तत्व चक्र की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। जब मानव गतिविधियों के कारण इस संतुलन में गड़बड़ी होती है, तो पारिस्थितिकी तंत्र में अस्थिरता पैदा होती है, जिसे पारिस्थितिक असंतुलन (Ecological Imbalance) कहा जाता है।

पारिस्थितिकी तंत्र पर मानव प्रभाव (Human Impact on Ecosystem)

मानव गतिविधियाँ पारिस्थितिकी तंत्र पर गहरा प्रभाव डालती हैं। इनमें प्रमुख हैं:

  1. वनों की कटाई (Deforestation): वनों के कटने से जैव विविधता में कमी आती है और कार्बन चक्र प्रभावित होता है।
  2. प्रदूषण (Pollution): वायु, जल, और मृदा प्रदूषण पारिस्थितिकी तंत्र के जैविक और अजैविक घटकों को प्रभावित करता है।
  3. जलवायु परिवर्तन (Climate Change): बढ़ते हुए ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के कारण जलवायु परिवर्तन हो रहा है, जो पारिस्थितिकी तंत्र की स्थिरता को प्रभावित कर रहा है।
  4. आवास विनाश (Habitat Destruction): शहरीकरण, औद्योगिकीकरण, और कृषि विस्तार के कारण कई जीवों के प्राकृतिक आवास नष्ट हो रहे हैं।


पारिस्थितिकी तंत्र जैविक और अजैविक घटकों के बीच परस्पर क्रियाओं का एक जटिल तंत्र है, जो पृथ्वी पर जीवन को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पारिस्थितिकी तंत्र का संरक्षण और संतुलन बनाए रखना हमारी जिम्मेदारी है ताकि पृथ्वी की जैव विविधता और प्राकृतिक संसाधनों को संरक्षित किया जा सके।